सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ में भाजपा सरकार जाने के बाद निलंबित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी जी पी सिंह पर राजद्रोह के मामले दर्ज किये जाने की प्रवृत्ति को खतरनाक करार दिया। इसके साथ ही जी पी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। इससे भूपेश सरकार को तगडा झटका लगा है।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जी पी सिंह के खिलाफ राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि विरोधियों के खिलाफ शक्तियों का दुरुपयोग बढ़ गया है जो दुखद है। न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस को सिंह को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने सिंह को जांच में सहयोग करने को कहा है।
पहली जुलाई को 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह और उनके निकट संबंधियों के ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है। इस दौरान सिंह और उनके संबंधियों के पास कथित तौर पर 10 करोड़ की संपत्ति की जानकारी मिली थी। जी पी सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और विकास सिंह ने दलीलें पेश की, जबकि राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और राकेश द्विवेदी पेश हुए।