देश में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उनको कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 1967 में ‘पद्म श्री’, 1972 में ‘पद्म भूषण’ और 1989 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था। स्वामीनाथन की सराहना देश ही नहीं विदेश में होती थी। वर्ष 2004 में उनको किसानों की हितों की रक्षा के लिए बनाया गया राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। इस आयोग को आत्महत्या के मामलों के बीच किसानों के संकट को देखने के लिए गठित किया गया था।
स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है। वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और स्वीकार किया। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई।इसका नाम स्वामीनाथन आयोग पडा। इस आयोग ने 2006 में रिपोर्ट प्रस्तुत की और अपनी सिफारिशों में सुझाव दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए।