रायपुर। कोरोना महामारी के आने के बाद हम जैसा कि देख रहे हैं।आयुष मंत्रालय के निर्देश से आयुर्वेदिक दवाओं का चलन बढ़ा है। इस वजह से सोशल मीडिया और टेलीविजन पर इसकी जानकारी से सम्बंधित प्रचार भी बढ़ा है।
प्राय: देखा जा रहा है कि जन सामान्य इंटरनेट या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी लेकर बगैर किसी वैद्य के सलाह लिए लगातार आयुर्वेद औषधियों के सेवन करते रहते है या फिर कर रहे है। विज्ञापन के माध्यम से भ्रामक प्रचार करके कई कथित कंपनी आयुर्वेद का हवाला देकर यह भी बता रहे हैं कि इसका कोई विपरीत प्रभाव नही पड़ेगा लेकिन न केवल यह गलत है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक है। आयु केयर आयुर्वेद पंचकर्म एवं पाइल्स क्लीनिक की संचालिका डॉ अंकिता राकेश मिश्रा ने बताया कि जब हम प्रत्यक्ष रूप से ओपीडी में ऐसे मरीज से मिलते है तो पता चलता है मरीज ऐसे ज्ञानवान माध्यम का प्रयोग करके स्वत: ही वैद्य की भूमिका का निर्वहन करके औषधि का सेवन कर रहा है। इसलिए जन सामान्य से आग्रह है कि किसी भी आयुर्वेद दवा चाहे वो काष्ठ औषधि हो या रस औषधि,उसका सेवन किसी पंजीकृत वैद्य के परामर्श के बिना बिल्कुल भी न करे। अभी वर्तमान में पंचकर्म एवं क्षार सूत्र विधा जो कि आयुर्वेद की सबसे महत्वपूर्ण एवं दक्ष विधा है उसका प्रयोग भी विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक चिकित्सा के 6 महीने एवं 3 महीने के डिप्लोमा या सर्टिफिकेट प्राप्त करके के इसे कर रहे है। ऐसे लोगो से सावधान रहे। यह कानूनी रूप से भी यह गलत है।