जनदबाव के चलते चीन को कोरोना संक्रमण से बचाव के कड़े प्रावधानों को वापस लेना पड़ा है। लेकिन इससे वहां पर कोविड के फिर से विकराल रूप लेने का खतरा पैदा हो गया है। चीन बीते तीन साल से कोविड महामारी के साये में है। महामारी के फिर से गंभीर होने के खतरे से बचाव के लिए चीन ने कड़े प्रावधान और लाकडाउन लागू किए लेकिन प्रतिबंधों को झेल रही जनता पिछले दिनों विरोध पर उतारू हो गई और सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए। जबकि बाकी दुनिया ने कोविड महामारी से उबरकर उसके साथ जीना सीख लिया है। बाकी के देशों में गतिविधियां भी सामान्य हो गई हैं।
चीन में नवंबर में उपजे विरोध का यह एक बड़ा कारण था। संभवत: यह 1989 में थियानमेन चौक पर हुए आंदोलन के बाद यह चीन में सबसे बड़ा सरकार विरोधी प्रदर्शन था। सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद ही चीन के शहरों में कोरोना संक्रमण नियंत्रण के प्रावधानों में ढील दी जाने लगी। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा है कि कोविड के मामूली लक्षणों वाले लोग घर में ही एकांतवास कर सकते हैं। साथ ही विभिन्न् शहरों में घूमने वाले लोगों के अनिवार्य परीक्षण और स्वास्थ्य की नियमित जानकारी देने के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया है। भीड़ वाले सार्वजनिक स्थानों और पर्यटन स्थलों को भी धीरे-धीरे खोला जा रहा है।
विशेषज्ञ इसके खतरों से आशंकित हैं। उनका कहना है कि कोविड फैलाने वाला वायरस अब पहले जैसा खतरनाक नहीं रह गया है लेकिन कब वह नया वेरिएंट बनाकर भयावह हो जाएगा कोई नहीं जानता। चीन में प्रतिदिन बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं। बुधवार को ही चीन में 21,439 मरीज सामने आए हैं। हालांकि यह संख्या 27 नवंबर को 40 हजार से ज्यादा मरीजों की संख्या से कम है लेकिन खतरा अभी बरकरार है।