दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पिछले 58 दिनों से घेरा डालकर आंदोलनरत किसानों ने अब जीटी रोड पर पूरा शहर बसा लिया है। यहां के कुंडली बार्डर से रसोई गांव तक टेंट और ट्रैक्टर-ट्रालियों की एक अलग दुनिया बसा ली गई है। करीब छह किलोमीटर के दायरे में किसानों ने अलग-अलग कालोनियां तक बना ली हैं। इतना ही नहीं अपने क्षेत्रों की पहचान के लिए इन कालोनियों का नामकरण भी कर दिया है। इसके लिए बाकायदा जीटी रोड के किनारे कालोनियों के नामों के बोर्ड और दिशा सूचक तक लगा रखे हैं।
रसोई गांव से कुंडली बार्डर पर मुख्य मंच तक जीटी रोड की दोनों लेन पर पूरी तरह से बंद हैं। यहां सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रालियां खड़ी हैं। इसके साथ ही सैकड़ों छोटे-बड़े टेंट भी लगे हैं। ट्रालियों को भी घर का आकार दे दिया गया है। पड़ाव के इस क्षेत्र में हर 50 या 100 कदम पर लंगर चल रहे हैं। इसके बीच-बीच में फुटपाथ पर लगने वाली दुकानें भी सज गई हैं। किसानों ने अलग-अलग कालोनियां बसा ली हैं और उनका नामकरण भी कर दिया है। हाईवे के किनारे लिखे गांव व शहरों के नामों की पट्टिकाओं की तर्ज पर और उसी रंग में नगर का नामकरण करते हुए बोर्ड भी लगाया है।
आंदोलनरत किसानों ने कुंडली बार्डर से लेकर पंजाबी ढाबा तक सात नगर के बोर्ड लगाकर उसका नामकरण किया है। मुख्य मंच के आसपास के क्षेत्र को नेताजी सुभाष चंद्र बोस नगर तो मुख्य मंच से केएफसी माल तक को बंदा सिंह बहादुर नगर का नाम दिया है। केएफसी माल से पेट्रोल पंप तक सरदार भगत सिंह नगर, पेट्रोल पंप से हिदुस्तान टाइल्स के शोरूम तक शिवराम रवी राजगुरु नगर, यहां से टीडीआइ माल तक सुखदेव थापर नगर, रसोई ढाबा तक करतार सिंह सराभा नगर और इससे आगे पंजाबी ढाबा तक को चंद्रशेखर आजाद नगर नाम दिया गया है। इन सभी नगरों को एक से सात तक नंबर भी दिया गया है। कुछ संगठनों ने तो ई-रिक्शा की फ्री सेवा भी शुरू की है। आंदोलन में शामिल किसान मुख्य मंच तक आने-जाने के अलावा एक-दूसरे के नगर में जाने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं।