बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से लगभग 1600 किमी दूर राजस्थान के रायपुर के एक व्यक्ति को उसकी शादी कराने के नाम पर सुल्तानगंज के लोगों ने ठग लिया। दूल्हा कुछ लोगों के साथ बरात लेकर आ गया तो यहां उसे मंडप नहीं दिखा। दूल्हे से बताया गया कि उसकी शादी जमालपुर के एक मंदिर में करा दी जाएगी। फिर वधू पक्ष में से एक ने दूल्हे से 60 हजार रुपये विदाई के लिए कुछ सामान खरीदने के नाम पर ले लिए। रुपये पाते ही वे लोग चंपत हो गए। उनकी खोज में जब दूल्हा और बराती गए तो उधर दुल्हन भी भाग गई।
सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले शख्स ने अपने गांव की एक लड़की की शादी अपने रिश्तेदार की मदद से राजस्थान के रायपुर के एक व्यक्ति से तय कराई थी। लड़की पक्ष द्वारा कहा गया था कि वे शादी तो कर लेंगे लेकिन शादी में खर्च नहीं कर पाएंगे। शादी का पूरा खर्च वर पक्ष को करना होगा। दोनों पक्ष की रजामंदी के बाद दूल्हा सुल्तानगंज बरात लेकर पहुंचा। गांव में मंडप नहीं दिखा तो वर पक्ष सकते में आ गया। इसी बीच उन्हें कहा गया कि जमालपुर के एक मंदिर में शादी कराई जाएगी। दूल्हे के लिए जमालपुर स्टेशन परिसर से एक गाड़ी रिजर्व की गई। स्टेशन से शादी के लिए दोनों पक्ष मंदिर के लिए रवाना हुए।
मंदिर में दूल्हे ने दुल्हन की मांग भरी। फिर वापसी के लिए स्टेशन लौटे तो शादी तय कराने वाले शख्स ने वर पक्ष से विदाई के लिए कुछ आवश्यक सामान खरीदने के नाम पर 60 हजार रुपये लिये और एक सहयोगी के साथ चंपत हो गया। काफी देर तक वापस नहीं आया तो वर पक्ष के लोग उसे ढूंढने स्टेशन से बाहर निकल गए। दुल्हन ने उनसे कहा कि आपलोग जाइए मैं इंतजार कर रही हूं। लेकिन जैसे ही ये लोग निकले तो दुल्हन भी भाग गई। धीरे-धीरे वधू पक्ष के लोग खिसक गए। स्टेशन पर केवल दुल्हन के पिता और बड़ी बहन ही बचे थे। जब दुल्हन भाग गई तो वर पक्ष के लोगों ने अपने रुपये मांगे। उस समय पता चला कि दुल्हन के पिता और बहन, सभी नकली हैं। वे चंद रुपयों की लालच में लड़की का पिता और बहन बने थे। दूल्हा समझ गया कि वह ठगी का शिकार हो गया और वह भी राजस्थान लौट गया।