रायपुर,पूनम ऋतु सेन। छत्तीसगढ़ राज्य सामाजिक व सांस्कृतिक विरासतों से परिपूर्ण राज्य है। यहां की परंपराएं, पहनावे, खानपान की अलग विशिष्टता है। खानपान में यहां क्षेत्रीय विविधताएं भी दिखाई देती हैं। समय अनुसार व मौसम अनुसार नाश्ते से लेकर खाना तक सभी में कुछ अंतर क्षेत्रीयता का नजर आता है। आज इस पोस्ट में हम छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों के बारे में बात करेंगे जो लगभग छत्तीसगढ़ रहवासियों के हर घर में बनाए जाते हैं-
चीला: जिले के दो रूप प्रचलन में है मीठा एवं नमकीन चावल के आटे में नमक डालने से नुन्हा चिल्ला बनता है एवं घोल में गुड़ डाल देने से गुरहा जिला बनता है। यह मुख्यता हरतालिका पर्व के समय बनाया जाता है।
नमकीन चीला- चांउर पिसान, चावल के आटे को पानी में घोलकर, तवे पर हल्की आंच में तेल से सेंका गया, नमकीन चीला।
चीला: बेसन, बेसन को पानी में घोलकर, तवे पर हल्की आंच में तेल से सेंका गया, नमकीन चीला।
फरा: यह मुख्यता चावल के आटे से बनाया जाता है, इसमें कभी-कभी पका चावल भी मिलाकर, नमक डालकर गूंधकर, फिंगर रोल बनाकर आदि द्वारा भाप से पकाकर, तिल-मिर्च से छौंक कर नमकीन नाश्ता तैयार किया जाता है। यह सामान्य अवसरों में बनाया जाने वाला व्यंजन है।
मुठिया: चावल के आटे में कभी.कभी पका चांवल भी मिलाकर, नमक डालकर गूंधकर, मुट्ठी से गोल आकार बनाकर व भाप से पकाकर, तिल-मिर्च से छौंक से सेंक कर नमकीन डिश तैयार किया जाता है।
धुसका: चावल के आटे को गूंध कर उसमें तेल में हल्की आंच पर नमकीन मोटी रोटी सेंका जाता है।
धुसका: व्हेज मिक्स व्यंजन है जिसमें प्याज, टमाटर, हरी मिर्च, धनिया पत्ती को बारीक काटकर चावल के आटे के साथ गूंधकर, धीमी आंच में, तेल के साथ मोटी नमकीन रोटी सेंकी जाती है।
चांउर रोटी अंगाकर: चावल के आटे को गूंधकर, अंगार में मोटी नमकीन रोटी सेंक कर बनायी जाती है।
चांउर रोटी पातर: चावल के आटे को गूंधकर, पतला-पतला बेलकर, तवे पर धीमी आंच में पतली रोटी सेंक कर नाश्ता तैयार किया जाता है।
बफौरी सादा: यह गोलाकार का नाश्ता है जिसमें मसूर दाल को भिगोकर, उसे दरदरा पीसकर, गोल आकार देकर, भाप में पकाया जाता है और तेल में छौंक कर भी तैयार किया जाता है।
बफौरी मिक्स दाल: यह वफा की सादा का एडवांस तरीके का नाश्ता है जिसमें चना, मूंग, उड़द, मसूर दाल बराबर मात्रा में पानी में भिगोकर उसे दरदरा पीसकर मूट्ठी से गोल आकार देकर, भाप से पकाया जाता है तथा सरसो मिर्च से तेल में छौंक कर भी तैयार किया जाता है।
चउँसेला: गरम पानी में नमक मिलाकरएचावल के आटे को गूंधकर, रोटी के समान बेलकर, तेल से तली गई पूड़ी होती है इस व्यंजन को भी सामान्य अवसरों पर तैयार किया जाता है।
नमकीन देहरउरी: चावल को भिगाकर, दरदरा पीसकर, दही.नमक के साथ फेंटकर , हाथ से वृत्ताकार आकार देकर, तेल में पकाया गया पकवान होता है,
देहरौरी (मीठा) – यह दर्द अरे चावल से बनाया गया मीठा व्यंजन है जिसे देसी रसगुल्ला के नाम से भी जाना जाता है यह कलेवा मुख्य रूप से पितृपक्ष के दिन बनाया जाता है।
बरा उरिददार: भीगी उड़द दाल को पीस कर, हरी मिर्च, धनिया बारीक काट कर, गूंधकर ,फेंटकर , गरम तेल में तला गया नमकीन नाश्ता है।
पपची- यह एक प्रकार का मीठा व्यंजन है जो चावल आटे गेहूं आटे एवं गुड़ के घोल से तैयार की जाती है यह छत्तीसगढ़ अंचल में मुख्य रूप से शादी के अवसरों पर विशेष रूप से तैयार की जाती है।
बोबरा- यह व्यंजन गेहूं आटे से बनाया जाता है इस इंजन को बनाए जाने का विशेष अवसर मातृ नवमी है।
ठेठरी- यह चना बेसन का बना हुआ नमकीन व्यंजन है इसमें बेसन को भूत कर नमक मिलाकर तैयार किया जाता है, जो मुख्यतः तीजा पोला के अवसर पर बनाया जाता है।
खुरमी- यह छतीसगढ़ अंचल का मुख्य व्यंजन है, जो तीजा पोरा के अवसर पर विशेष तौर पर बनाया जाता है, किंतु सामान्य अवसर पर भी इसे लोगों द्वारा पसंद के अनुसार बनाया जाता है। यह करेवा गेहूँ आटा चावल आटा को मिलाकर बनाया जाता है।