इस सप्ताह शेयर बाजार की चाल अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले से तय होगी। विश्लेषकों के मुताबिक शेयर बाजार में विदेशी पूंजी की आवक और कच्चे तेल के रुझान से भी शेयर सूचकांक प्रभावित होंगे। स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, “”अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े के बाद वैश्विक बाजार घबराए हुए दिख रहे हैं, इस वजह से डालर सूचकांक 110 के आसपास पहुंच गया है।”” कारोबारियों की नजर अब अमेरिकी संघीय मुक्त बाजार समिति (खह्ररूष्ट) की आगामी बैठक के नतीजे पर है। पिछले हफ्ते सेंसेक्स 952.35 अंक यानी 1.59 प्रतिशत टूटा, जबकि निफ्टी में 302.50 अंक यानी 1.69 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 1,093.22 अंक या 1.82 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,840.79 पर बंद हुआ था।
मीणा ने कहा कि बैंक आफ इंग्लैंड भी ब्याज दर पर फैसले की घोषणा करेगा। उन्होंने कहा कि संस्थागत निवेशक अहम भूमिका निभाएंगे, क्योंकि विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी बाजार में विक्रेता बन गए हैं। रेलिगेयर ब्रोकिग लिमिटेड के रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट अजीत मिश्रा ने कहा, “किसी भी प्रमुख घरेलू आंकड़ें और घटनाओं के अभाव में, प्रतिभागियों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर होगी। इसके अलावा, विदेशी आवक पर भी उनकी नजर रहेगी।”” जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि मजबूत व्यापक आर्थिक आंकड़ों के बावजूद घरेलू बाजार में बांड यील्ड और डालर सूचकांक की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण शेयर बाजारों में गिरावट हुई।
विदेशी निवेशकों ने सितंबर में अब तक शेयर बाजार में 12 हजार करोड़ का निवेश किया
विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी बाजार में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। निवेशक इस उम्मीद में बाजार में पैसा लगा रहे हैं कि मुद्रास्फीति में नरमी आने के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व सहित दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की गति धीमी कर सकते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने अगस्त में 51,200 करोड़ रुपये और जुलाई में लगभग 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध् निवेश किया था। नौ महीने बाद इस साल जुलाई में पहली बार एफपीआइ ने बाजार में पैसे लगाए थे। इससे पहले वह पिछले साल अक्टूबर से लगातार बिकवाल बने थे।
अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच एफपीआइ ने इक्विटी बाजार में 2.46 लाख करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की थी। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड (रिटेल) श्रीकांत चौहान ने कहा कि मौद्रिक सख्ती, बढ़ती मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक चिताओं आदि को ध्यान में रखें तो एफपीआइ का व्यवहार अस्थिर रहने की उम्मीद है। मार्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा,”विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी में निवेश करना जारी रखा है, क्योंकि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार कम कर सकते हैं।
10 मूल्यवान कंपनियों में से छह का मार्केट कैप दो लाख करोड़ घटा
पिछले सप्ताह शेयर बाजार की 10 मूल्यवान कंपनियों में से छह का मार्केट कैप दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कम हो गया। सबसे ज्यादा नुकसान सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी टीसीएस और इन्फोसिस को हुआ। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी और हिदुस्तान यूनीलीवर की भी बाजार हैसियत कम हुई है। आइसीआइसीआइ बैंक, एसबीआइ, अदाणी ट्रांसमिशन और बजाज फाइनेंस की मार्केट कैप में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आइटी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस का मार्केट कैप 76,346.11 करोड़ कम होकर 11,00,880.49 करोड़ हो गया। वहीं इन्फोसिस का मार्केट कैप 55,831.53 करोड़ कम होकर 5,80,312.32 करोड़ हो गई है। बाजार की सबसे मूल्यवान कंपनी की बात करें तो रिलायंस इंडस्ट्रीज नंबर एक पर कायम है ।