कोरोना की तीसरी लहर के सामने आने से बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता पर बड़ा असर दिखने की आशंका है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इकरा का कहना है कि खासतौर पर पुनर्गठित कर्ज के लिए यह लहर बड़ा जोखिम पैदा कर सकती है। इकरा रेटिंग्स ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि फंसे कर्जों के अलावा कर्जदाताओं का लाभ काफी प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही उन्हें कर्ज समाधान मोर्चे पर भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इन चुनौतीपूर्ण हालातों में कर्जदारों की तरफ से कर्ज पुनर्गठन के अनुरोध में 0.20 प्रतिशत तक का उछाल दिखने की संभावना है।
इकरा के वाइस प्रेसिडेंट (फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग्स) अनिल गुप्ता ने कहा कि ओमिक्रोन का संक्रमण बढ़ने के साथ तीसरी लहर की आशंका प्रबल हो गई है। पिछली दो लहरों से बुरी तरह प्रभावित कर्जदाता बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के प्रदर्शन के लिए यह एक बड़ा जोखिम हो सकता है। महामारी की पिछली दो लहरों में बैंकों ने अधिकतर कर्ज भुगतान को 12 महीनों तक के लिए स्थगित कर दिया था। आने वाले समय में कर्ज पुनर्गठन की मांग 15-20 आधार अंक (0.15 से 0.20 प्रतिशत) तक बढ़ सकती है। पिछली दो लहरों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने दो राहत पैकेज घोषित कर कर्जदाताओं एवं कर्जदारों दोनों को मुसीबत से निकाला था।
हालांकि आरबीआइ के इस कदम के चलते सितंबर, 2021 के आखिर में कोविड-2.0 स्कीम के तहत बैंकों के कुल पुनर्गठित कर्ज का आकार स्टैंडर्ड एडवांस के मुकाबले 2.9 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो जून, 2021 के आखिर में दो प्रतिशत था।