निजी क्षेत्र के प्रमुख कर्जदाता इंडसइंड बैंक ने स्वीकार किया है कि उसने तकनीकी गलती से 84,000 लोगों को उनकी अनुमति के बिना कर्ज बांट दिए। ये कर्ज इस वर्ष मई में दिए गए थे। बैंक ने यह भी कहा कि उसके फील्ड अधिकारियों ने दो दिनों में यह गलती पकड़ ली और उसका तेजी से निस्तारण भी कर दिया गया। एक व्हिसलब्लोअर ने आरबीआइ को पत्र लिखकर कहा था कि इंडसइंड बैंक की लघु वित्त शाखा बीएफआइएल ने उन कर्जदारों को भी जमकर कर्ज बांटे हैं, जिन्होंने पिछला कर्ज नहीं चुकाया था।
इंडसइंड बैंक ने स्पष्टीकरण जारी कर व्हिसलब्लोअर के आरोपों को आधारहीन और तथ्यों से परे बताया है। बैंक ने कहा कि कर्ज चुकाने में अक्षम कर्जदारों को नए कर्ज नहीं बांटे गए हैं। उसकी लघु वित्त शाखा अपने ग्राहकों को कर्ज देने के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और अन्य नियामकों के नियमों का पूरी कड़ाई से पालन करती है। इस शाखा ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौर में जितने भी कर्ज बांटे, वे सभी नियम के अनुरूप दिए गए थे। हालांकि कोरोना संकट के हालात में परिचालन संबंधी चुनौतियों के चलते गांवों और पंचायतों के स्तर पर कुछ कर्ज नकद रूप में बांटे गए हैं।
बैंक ने कहा है कि इस वर्ष सितंबर में आखिर में इन 84,000 खातों में से 26,073 पर कुल मिलाकर 34 करोड़ रुपये बकाया था। यह बैंक के सितंबर आखिर के लोन पोर्टफोलियो का महज 0.12 प्रतिशत है। बैंक ने यह भी कहा कि वह कर्ज के एवज में पर्याप्त प्रावधान करता रहता है।