अल्जाइमर एक मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। दुनिया भर में लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।
क्या है अल्ज़ाइमर रोग ?
अल्जाइमर रोग मुख्य रूप से डिमेंशिया का रूप है। डिमेंशिया बीमारी से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जब किसी व्यक्ति के दिमाग की कोशिकाएं कमज़ोर या नष्ट हो जाती हैं।इससे पीड़ित लोगों को भूलने की आदात पड़ जाती है, जिसके चलते वे 1-2 मिनट पहले हुई बात को भी भूल जाते हैं। जब डिमेंशिया का स्वरूप बढ़ जाता है, तो उसे अल्जाइमर रोग कहा जाता है।
क्या है इसके लक्षण ?
• यादाश्त में कमी होना
• बोलने या लिखने में परेशानी होना
• जगह या समय को लेकर गुमराह होना
• फैसले लेने में परेशानी होना
• मूड का बार-बार बदलना
कैसे करें इसकी पहचान?
यदि किसी व्यक्ति को खुद के इस बीमारी से पीड़ित होने की शंका है, तो वह इसे कुछ टेस्ट के माध्यम से बीमारी को दूर कर सकता है।
• ब्लड टेस्ट करना
• दिल की धड़कनों की जांच करना
• एम.आर.आई कराना
• सी.टी स्कैन करना
• पी.ई.टी स्कैन करना
विश्व में अल्ज़ाइमर पीड़ितों की स्थिति
भारत में लगभग 40 लाख से अधिक लोगों को किसी न किसी प्रकार का डिमेंशिया है। वहीं विश्व भर में कम-से-कम 4 करोड़ 40 लाख लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। जिनमें से अधिकांश बुजुर्ग हैं।चिकित्सक तथा जानकार मानते हैं की यह आंकड़ा ज्यादा हो सकता है क्योंकि ज्यादातर बुजुर्ग जानकारी के अभाव, तथा अन्य आर्थिक, सामाजिक व पारिवारिक कारणों से यह समस्या होने पर चिकित्सों से संपर्क नहीं कर पाते हैं।
क्या है उपचार?
अभी तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है लेकिन चिकित्सक मानते हैं की डिमेंशिया से बचने में शारीरिक और मानसिक सक्रियता काफी मददगार हो सकती है। चिकित्सक मानते हैं की शुरुआती अवस्था में इस रोग की जांच और निदान के द्वारा मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।