ब्रेन से निकला 6 सेंटीमीटर का ट्यूमर
डॉक्टर को भगवान का वो दूत है जो इंसान मौत के मुंह से बाहर निकलने की ताकत रखता है। कुछ ऐसा ही हुआ 17 वर्षीय सीमा (परिवर्तित नाम) के साथ। उसे ब्रेन ट्यूमर हो गया। यह एक असामान्य ट्यूमर था जिसे निकल पाना डाक्टरों के लिए भी कठिन था। वी केयर हॉस्पिटल में 20 घंटे की लगातार चलने वाली सर्जरी के बाद डॉ हर्षित मिश्रा ने सीमा को दूसरा जीवन दान दिया।
सीमा बिलासपुर की रहने वाली है। वहां के डॉक्टरों ने रायपुर रेफर कर दिया। चेकअप के बात पता चला कि उन्हें ब्रेन में ट्यूमर है। डॉ मिश्रा के अनुसार इस तरह के केस हजारों में एक निकलते हैं। यह ट्यूमर ब्रेन में था साथ ही कान और स्पाइन पर लगातार दबाव बना रहा था। मरीज की हालत इतनी गंभीर हो चुकि थी की उसका चलना भी अब मुुुश्किल हो चुका था। मेरे लिए बच्ची को सेफ रखते हुए ट्यूमर निकालना काफी चैलेंजिग था। सर्जरी के पहले काफी तैयारी भी की जिसके कारण सब अच्छी तरह संभीव हो गया। 20 घंटे लगातार हमने टीम के साथ आॅपरेशन किया। सुबह 8 बजे से शुरू होने वाला आॅपरेशन अगले दिन 4 बजे खत्म हुआ। इस बीच सीमा का परिवार भी बाहर कश्मकश में था। आखिरकार आपरेशन सफल रहा, जिसमें 6 सेंटीमीटर का ट्यूमर निकला। इसकी साइज काफी बड़ी थी यही कारण है कि समय भी सामान्य से ज्यादा लगा।
एक परिचय:
डॉ मिश्रा दिल्ली एम्स से न्यूरोसर्जन की पढ़ाई किए हैं। वे शुरू से छत्तीसगढ़ के लोगों को भी बेहतर चिकित्सा सुुविधा देना चालते थे यही कारण है कि वे वापस रायपुर आए। अब तक लगभग 500 अपरेशन कर चुके हैं, जिसमें ये अपरेशन उनके लिए चुनौतियों से भरा था। अब सीमा स्वस्थय है और जल्द ही उसकी छुट्टी भी होने वाली है।
कोविद वॉरियर का परिवार क्या सोचता है
मुझे भी मिली तसल्ली
डॉ हर्षित मिश्रा की पत्नी डॉ पूनम मिश्रा गाइनिकॉलजिस्ट हैं। एक ही प्रॉफेशन में होने के कारण एक दूसरे की परेशानी समझ आती है। इस ऑपरेशन के बारे में श्रीमती मिश्रा का कहना है कोविड काल में ऐसा केस आना भी अलग अनुभव था। डॉ साहब ने कई ऑपरेशन किए हैं पर इसे लेकर वो काफी तैयारी किए थे। जब सुबह निकले तो मुझे लगा कि 4,5 घंटे में आ जायेंगे। पर समय बढ़ता गया। सर्जरी के दौरान अंदर फोन भी नही लेजाना होता है। ऐसे हालात में बस घड़ी की सुई देखना और मन को तसल्ली देना ही एक चारा था। 6 घंटे होने के बाद हॉस्पिटल स्टाफ को मैं बार बार फ़ोन कर पूछ रही थी। ऐसा लग रहा था कि किसी तरह बस समय निकले और रिजल्ट अच्छा सुनाई दे। कोविड की वजह से चाहते तो डॉ. साहब इसे किसी दूसरे हॉस्पिटल रेफर कर सकते थे लेकिन पेशेंट की हालत देख कर मन इसकी इजाज़त नहीं दिया। श्रीमती मिश्रा का कहना है की वो रात मैं कभी नही भूल सकती, मुझे लग रहा था बिना कुछ खाये लगातार 20 घण्टे सर्जरी का स्ट्रेस झेलना और फिर घर गाड़ी ड्राइव करके आना भी मुश्किल होगा। लेकिन जब डॉ साहब घर आ कर बताए ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा तब मुझे अच्छा लगा।
क्या है ब्रेन ट्यूमर
मस्तिष्क में कोशिकाओं में असामान्य रूप से बढ़ने पर जो गांठ बनती है उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इस दौरान सिर दर्द, उल्टी लगना, चक्कर आना, सिर भारी होना और घूमना जैसे लक्षण ज्यादा होते हैं।