विधिक मामलों को लेकर अपने कैरियर के प्रारंभिक समय में ही ‘नया करने की इच्छा’ कम लोगों में होती है । लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर { समता कालोनी } निवासी युवा- सुश्री- सुगन्धा जैन में समाज की समस्याओं को खत्म करने की तड़फ है! ‘विधिक मामलों’ में छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाई पर ले जाने की चाह भी उसके मन में दबी हुई है।
स्व. राजेश जैन – श्रीमती इंदिरा जैन की पुत्री कु. सुगन्धा ने अध्ययन के प्रति अपने लगाव को जारी रखते प्रारम्भिक शिक्षा रायपुर से करने के उपरांत क़ानून की आगे की पढ़ाई नागपुर से पूरी की । बाद में सुगन्धा ने अपने जीवन को कानूनी मामलों में ही समर्पित करने की ठान ली। आज उच्च शिक्षा अर्जित करने के बाद वह निरंतर इस दिशा में उपलब्धियां बढ़ाने की सहज कोशिश के चलते दिल्ली में बस गई है। नियमित पढ़ाई के दौरान भी ऐसे अनेक अवसर आए जब कानूनी मसलों के सम्बंध में आयोजित होने वाले सेमिमर्स, स्पेशल कोर्स भी अटेंट किये और अपने आप को सम्पूर्ण दृष्टिकोण से कानूनी प्रकियाओं के लिए तैयार किया। आज उन्हीं के चलते वे निरन्तर व्यस्त होती जा रही हैं!
लॉ की प्रैक्टिस के दैरान ही छत्तीसगढ़ राज्य बाल आयोग में इंटर्नशिप से उसने आगे के इरादे जाहिर कर दिए थे । आज वह इसी दिशा में सहयोग को तत्तपर नज़र आती है! समाज को, विशेषकर महिलाओं को और बच्चों को कानूनी जानकारियों से जोड़ने के क्रम में — “गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग के लिए उसने स्वयं को प्रस्तुत किया।”
चाइल्ड सेक्स पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग के लिए भी वह सहर्ष आगे आई। कानून की पढ़ाई के दौरान दिल्ली में रहते हुए सुप्रीम कोर्ट : बार चुनाव में वह उस पैनल में शामिल थी जिनको उस चुनाव की मॉनिटरिंग का अवसर मिला था ।सन 2018 में सीनियर एडवोकेट शेखर नाफड़े के नेतृत्व में उसने मॉनिटरिंग करते हुए इस बात को समझा कि सुप्रीम कोर्ट और उसके चुनाव की कार्यप्रणाली क्या होती है।
अधिवक्ता परिषद की ओर से सरकार को कंज्यूमर मामले में सुझाव देने की बात जब आई तो उसने लिखित में कुछ बिंदु सरकार के सामने रखें । इसी प्रकार ऐसे विद्यार्थी जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है , लेकिन वे जज के इम्तिहान में बैठना चाहते हैं उनके लिए भी वह निशुल्क पढ़ाती है। ग़रीब या निर्धन बच्चों के केस उसने निःशुल्क लड़ने स्वयं को प्रस्तुत किया है। एक तरफ वे अपने प्रदेश से जुड़ी है वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रियता बनाए हुए है । वह छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद में सन 2013 से बतौर मेम्बर जुड़ी हुई है। अपने इसी अनुभव के आधार पर करीब 500 बच्चों के लिए आँचलिक खेलों को बढ़ावा देने एक कैम्प मठपुरैना ग्राम { रायपुर ज़िला } के स्कूल में अपनी परिकल्पना के आधार पर आयोजित किया। लॉक डाउन के इस दौर में भी एशियन लॉ कॉलेज, नोएडा द्वारा आयोजित इंटरनेशनल लॉ एवं आई. पी. आर. में उसने बतौर जज अपनी सहभागिता दर्ज की। राष्ट्रीय बाल आयोग के साथ भी उसे कुछ समय तक काम कर देश में बाल अधिकारों की स्थिति को जानने में मद्दद मिली।
दिल्ली की “चेतना” संस्था द्वारा एक वेबिनार हाल ही में चाइल्ड एब्यूज़ विषय पर आयोजित किया गया जिसमें वह सीनियर पैनलिस्ट रहीं। सुगन्धा के संदर्भ में सबसे मुख्य बात है उसका परिवार पूरी तरह व्यवसायी परिवार रहा है। बिना किसी पृष्ठ भूमि के वह दिल्ली जैसी जगह में कानूनी मामलों की दुनिया मे अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है। इन दिनों अपने घर { रायपुर } पर रहकर है कोविड पेशेंट्स को मानसिक सम्बल देने में भी उसका समय बीत रहा है,अलावा उसके फोन पर ही निःशुल्क विधिक सहायता भी दे रही है।