केंद्रीय कैबिनेट ने विधेयक को दी मंजूरी; मुख्यमंत्री ने पिछले साल भेजा था प्रस्ताव
रायपुर। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति में शामिल होने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे छत्तीसगढ़ के 12 जातीय समूहों को बड़ी राहत दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट ने इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति-एसटी की सूची में शामिल करने के संशोधन विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पिछले साल प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसकी मांग उठाई थी। केंद्र सरकार ने जिन 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति के लिए प्रस्तावित किया है उसमें भारिया भूमिया के पर्याय के रूप में भूईंया,भूईयां, भूयां नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया के रूप में भारिया का सुधार किया गया है। वहीं पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो और धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवार को भी शामिल किया जा रहा है। गदबा और गोंड के साथ गोंड़ को भी शामिल किया जाएगा। वहीं कौंध के साथ कोंद और कोडाकू के साथ कोड़ाकू शामिल होगा। नगेसिया (ठँी२्रं), नागासिया के पर्याय के रूप में किसान को और धनगढ़ के बदले रूप धांगड़ को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाएगा। इसमें से अधिकतर समुदायों के जाति नाम में मात्राओं की भिन्नता होना बड़ा सिरदर्द बना हुआ था। मात्रा की गलती से ऐसे हजारों लोगों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी नहीं हो पा रहा था। अधिकारियों का कहना है, इन जाति समुदायों के छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हें सरकार की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। छात्रवृति, रियायती ऋण, अनुसूचित जनजातियों के बालक-बालिकाओं के छात्रावास की सुविधा मिलेगी। वहीं सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का भी लाभ मिल सकेगा।