महाराष्ट्र के एक अस्पताल और डाक्टर पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगा गया है। मेडिकल लापरवाही को सही मानते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने यह आदेश दिया है। उक्त अस्पताल में डाक्टर की लापरवाही से एक महिला की बच्चे को जन्म देते वक्त मौत हो गई थी। फैसला सुनाते हुए आयोग ने महिला के परिवारवालों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि एक मां को खोने का दर्द कभी बयां नहीं किया जा सकता।
करीब 26 साल पुराने मामले की सुनवाई करते हुए एनसीडीआरसी के अध्यक्ष आरके अग्रवाल और सदस्य एसएम कांतिकर ने अहम फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि एक मां को खोने का दर्द स्थायी और बयां करने लायक नहीं है। ये एक ऐसा घाव है, जो कभी ठीक नहीं हो सकता।अस्पताल और डाक्टर पर लापरवाही का आरोप सही मानते हुए आयोग ने कहा कि हम समझ सकते हैं कि बिना मां के मदर्स डे मनाना उस बच्चे के लिए कितना मुश्किल रहा होगा।
फरवरी 2015 में महाराष्ट्र उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अस्पताल और डाक्टर पर परिवार को 16 लाख रुपये बतौर अर्थदंड देने का फैसला सुनाया था। इसके खिलाफ अस्पताल ने आवेदन किया था। एनसीडीआरसी ने फैसले में कहा कि मामला 26 साल पहले का है, इसलिए 16 लाख जुर्माना कम है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अस्पताल और घटना के जिम्मेदार दोनों डाक्टर परिवार को 20 लाख रुपये अर्थदंड देंगे। इसके अतिरिक्त आवेदन और अन्य प्रक्रियाओं के दौरान खर्चे के हर्जाने के तौर पर अस्पताल परिवार को एक लाख रुपये देगा। घटना 20 सितंबर 1995 की है।