अंबिकापुर; 16 सितंबर 2023: सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) कोयला खदान में उत्पादन अब सितंबर के अंत तक बंद होने की सूचना से स्थानीय ग्रामीणों का रोष अपनी उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। ग्राम पंचायत परसा, साल्ही, जनार्दनपुर, फतेहपुर, तारा और घाटबार्रा इत्यादि ग्रामों के 400 से अधिक महिला और पुरुष ग्रामीणों ने अंबिकापुर से बिलासपुर मार्ग के साल्ही मोड़ पर धरना प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने प्रदेश और जिला प्रशासन से अपनी गुहार लगाते हुए नारे लगाए और 5000 से अधिक युवाओं के लिए रोजीरोटी का संकट खड़ा होने की बात कही।
मीडिया के वहाँ पहुंचने पर उन्होंने अपनी बात रखी। उनमें से साल्ही गांव से आए ग्रामीण मोहर पोंर्ते, सुनींदेर उईके, कृष्णाश्याम और मोहर लाल कुसरो ने बताया कि वे सभी खदान के नियमित संचालन का अनुरोध करने के लिए गत चार महीने से रायपुर आ रहे हैं। यहाँ उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपकर जमीन की अनुपलब्धता के कारण खदान में उत्पादन अब ठप होने की बात कही है। वहीं अब सैकड़ों कर्मचारियों और मशीनों को खदान से बाहर भेजा जाने लगा है।
“हम सभी चूंकि इसी खदान में नौकरी करते हैं अतः हमें भी अपनी नौकरी छुटने के खतरा बढ़ गया है। पिछले 10 वर्षों में खदान खुलने से क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए और आगे होने की भी उम्मीद है वे सब अब रुक जायेंगे। खदान खुलने से हमारे क्षेत्र में उत्कृष्ठ शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य, आजीविका उन्नयन और अधोसंरचना विकास के कई कार्य संचालित किए जा रहे हैं। आज हमारे बच्चे यहां पर स्थित केन्द्रीय शिक्षा पद्धति की अंग्रेजी माध्यम के स्कूल मुफ्त में प
ढ़ सकते हैं, हमारी गरीब और वंचित महिलाएं अब यही से स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त कर सकेंगी और हम सभी को रोजगार की जरूरत थी, खदान के नियमित संचालन होने पर ही हम सभी को नौकरी मिल सकती है इसका विश्वास था। इस खदान के बंद होने पर अब हमारा भविष्य अधूरा है,” इसके साथ ही उन्होंने अपनी बात में जनप्रतिनिधित्व और विधायक सभा अध्यक्ष की मौजूदगी की आवश्यकता की मांग की। इसके अलावा वहीं उन्होंने खदान में विशेष योगदान देने वाले ग्रामीणों को सरकार से साक्षरता अभियान के अंतर्गत साक्षर जरूर बनाने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि खदान के बंद होने पर इन लोगों को स्वरोजगार योजनाओं के अंतर्गत सीखा-सिखाया जाना चाहिए ताकि वे अपने जीवन को जीवन्त रह सकें।
साथ ही यह भी मांग की गई कि खदान के कर्मचारी व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विभागीय दुर्भाग्यदशमों की अधिक जाँच होवे, जिसमें बगल में ताले तोड़ने और चाबियों की कमी जैसी ज्यादातर चीजों के बारे में जानकारी है।
धरना प्रदर्शन में जुटी ग्रामीण जनता ने अधिकारी गण के साथ मीडिया से भी अपनी बात रखी। कहीं वे यह बात रखी कि यदि स्थिति ऐसी ही रही तो वे मुख्यमंत्री और राज्यपाल के पास जाकर अपनी शिकायतें दर्ज कराएंगे और उनके साथ ही उन्होंने यह भी दिखाया कि वे बूढ़ों से लेकर बच्चों तक खदान में उत्पादन करने वाले कर्मचारियों के साथ खड़े है।
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