आज से भगवान शिव जी का पावन महीना सावन शुरू हो रहा है। शिव जी को हम कई नामों से जानते हैं। शिव का विशेष दिन सोमवार माना गया है। सावन के हर सोमवार का अपना विशेष महत्व है। हम हर सोमवार को आपको शिव जी की प्रिय वस्तुओं के बारे में बताएंगे। तो आईए आज जाने शिव जी को कितना प्रिय है बेलपत्र और उसके महत्व।
शिव जी को बेलपत्र बेहद प्रिय है। इसे बेलपत्ती भी कहा जाता है। तीन पत्तों को मिला कर बनने वाली ये एक पत्ती सुंदर आकार की होती है जिसे एक ही पत्ती के रूप में गिना जाता है। बेल पत्ती कभी भी एक पत्ती वाली नहीं चढ़ाई जाती है। मान्यता के अनुसार शिव जी की पूजा बिना बेलपत्ते के पूरी नहीं होती है। सावन के माह में शिवजी पर बेलपत्ती चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान करने के बराबर फल मिलता है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है। बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं।
किदवंती
शिव पुराण में एक कथा है उसके अनुसार एक बार एक शिकारी को जंगल में देर हो गई। उसने एक बेल के पेड़ में रात बिताने का निश्चय किया। खुद को निंद से बचाने और जागे रहने के लिए उसने उपाए के रूप में तरकीब सोची कि वो एक-एक बेल का पत्ता तोड़ कर नीचे फेंकते जाएगा। पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था। शिकारी को इसकी जानकारी नहीं थी की अनजाने में उससे से शुभकार्य हो रहा है। फलस्वरूप भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे इच्छित फल प्राप्ती का वरदान दिया।
वहीं स्कंदपुराण में बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कहा गया है कि एक बार मां पार्वती ने अपनी उंगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोछकर उसे फेंक दिया मां के पसीने की कुछ बूंद मंदार पर्वत पर गिरी, कहतें है उसी से बेल के वृक्ष की उत्पत्ति हुई।
रोचक बातें
- एक बेलपत्ती कभी भी शिव जी को नहीं चढ़ानी चाहिए। तीन पत्तियों की संयुक्त पत्ती को ही चढ़ाना चाहिए।
- बेलपत्ती कहीं से कटी या टूटी हुई नहीं होना चाहिए। अगर कही से कटी या टूटी हो तो ऐसी पत्ती को खंडित माना जाता है।
- बिना जल के बेलपत्ती नहीं अर्पित करना चाहिए।
- अगर बेल बत्ती की संख्या कम हो तो इसे धोकर दोबारा शिव जी में चढ़ाया जा सकता है।
- बेलपत्ती में चंदन से राम लिख कर शिव जी में अर्पित करना चाहिए इससे भगवान अति प्रसन्न होते हैं।
- बेल पत्ती में चंदन के साथ इत्र लगा कर अर्पित करने से भी शिव जी प्रसन्न होते हैं।
- सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश हो जाता है।
- बेल वृक्ष को सींचने से पितरों को तृप्ती मिलती है।
- बेल वृक्ष और सफउेद आक को जोड़े से लगाने पर लक्ष्मी की प्रप्ती होती है।
ऐसे चढ़ाए बेलपत्र
भगवान शिव जी को हमेशा उलटा बेलपत्र अर्थात चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगूली की मदद से चढ़ाएं।
इस दिन न तोड़े बेलपत्र
आमावस्या, संक्रांति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित है।