भारत और चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख में पिछले एक महीने से भी अधिक समय से चले आ रहे गतिरोध के बीच सोमवार रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच पेगांग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प हुई जिसमें भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए। हालांकि चीन का दावा है कि उसके भी पांच सैनिक मारे गए हैं। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के चीफ रिपोर्टर वांग वेनवेन ने बताया है कि एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 5 जवान मारे गए हैं, जबकि 11 सैनिक घायल हो गए हैं।
दरअसल पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का अहम केंद्र है। बर्फीली वादियों से घिरी इस घाटी में ही श्योक और गलवान नदियों का मिलन होता है। 1961 में भारत ने पहली बार यहां आर्मी पोस्ट बनाई। इस घाटी के दोनों तरफ के पहाड़ रणनीतिक रूप से सेना को एडवांटेज देते हैं। गलवान नदी जिस श्योक नदी में मिलती है, उसके ठीक बगल से भारतीय सेना की एक सड़क गुजरती है। 1961-62 के बाद से यह घाटी शांत रही है। दो दशकों में यहां दोनों सेनाओं के बीच कोई झड़प भी नहीं हुई थी। मगर 5 मई के बाद, चीनी सेना गलवान घाटी में अपनी क्लेन लाइन से 2 किलोमीटर आगे चली आई है और भारत की सड़क से दो किलोमीटर दूर है। गलवान घाटी में भारत सड़क बना रहा है जिसे रोकने के लिए चीन ने यह हरकत की है।
दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड भारत को इस पूरे इलाके में बड़ा एडवांटेज देगी। यह रोड काराकोरम पास के नजदीक तैनात जवानों तक सप्लाई पहुंचाने के लिए बेहद अहम है। भारत और चीन के बीच मिलिट्री लेवल पर बातचीत से गलवान नदी घाटी के पैट्रोलिंग पॉइंट 14, 15 और 17 से चीनी सेना पीछे हटी थी। गलवान घाटी का पूरा इलाका लद्दाख में आता है। यहीं नदी भी बहती है। यहां के विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना टेंट लगाती है जिसका विरोध भारत करता है। जानकार कहते हैं कि चीनी सेना द्वारा यहां टेंट लगाने का मकसद दरअसल भारतीय सेना को उकसाना होता है। इतिहास के जानकार कहते हैं कि1962 में भारत-चीन के बीच जो युद्ध हुआ, उस समय पहली बार तनाव इसी घाटी से आरंभ हुआ।
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