बालासोर-ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले 28 लोगों की 94 दिन बाद भी पहचान नहीं हो सकी है। AIIMS भुवनेश्वर के मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट दिलीप परिदा ने सोमवार (4 सितंबर) को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हादसे के बाद अस्पताल में 162 शव लाए गए थे। इनमें से 134 शवों का DNA परिजन से मैच हो गया। इसके बाद शव उन्हें सौंप दिए गए। इसके लिए हमने 100 से ज्यादा DNA सैंपल जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री भेजे थे, लेकिन पिछले 10 दिनों से शवों की पहचान के लिए कोई नहीं आया है। मुझे लगता है कि अब कोई आएगा भी नहीं। इन शवों का लावारिसों के रूप में अंतिम संस्कार करने के लिए रेल मंत्रालय के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। सेंट्रल एजेंसी CBI हादसे की जांच कर रही है। उच्च अधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद ये शव CBI को सौंप दिए जाएंगे। फिलहाल शवों को अस्पताल के खास फ्रीजर में रखा गया है, जिससे शवों को लंबे समय तक नुकसान न हो। 2 जून की शाम को चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की बजाय लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी खड़ी थी। ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल और मालगाड़ी की कुछ बोगियां बगल के ट्रैक पर बिखर गईं। इसके थोड़ी देर बाद ही ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस टकरा गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए। हादसे में CBI की चार्जशीट में तीन रेलवे अफसरों के नाम हैं। तीनों पर गैर-इरादतन हत्या और सबूत मिटाने के आरोप हैं। इनमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं। 7 जुलाई को CBI ने तीनों आरोपियों को अरेस्ट किया था। 11 जुलाई को कोर्ट ने इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।