बालोद। मनरेगा कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से मनरेगा के तहत चल रहे निर्माण कार्य ठप हो गया है। इसके चलते हजारों मजदूर बेगार हो गए हैं, वहीं कहीं तालाब निर्माण का काम अधूरा है तो कहीं पर सड़क अधूरी बनी है। जिले में 70 हजार मनरेगा के मजदूर हं जो पिछले चार दिन से काम बंद होने के कारण बेगार हो गए हैं। बता दें कि, केंद्र सरकार की लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाली महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा एक तरफ फंड की कमी से जूझ रहा है। वहीं दूसरी तरफ मनरेगा कर्मियों की हड़ताल के प्रभावी ढंग से लागू होने के कारण पूरे जिले में मनरेगा मजदूरों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। जिले भर के छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ द्वारा तीसरे दिन भी नया बस स्टैंड बालोद में हड़ताल पर डटे रहे। मनरेगा कर्मचारियों द्वारा पोस्ट कार्ड डे मनाते हुए अपने अधिकारियों को पोस्ट कार्ड में अपनी-अपनी पीड़ा लिख कर अधिकारियों व सरपंचों को भेजा गया। जिसमें योजना की उपलब्धि तथा नियमितीकरण की घोषणा को याद दिलाते हुए 24 घंटे के भीतर नियमितीकरण करने का उल्लेख किया गया। वहीं, मनरेगा कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष प्रेम कुमार देवांगन ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा चुनाव में किए गए वादा को पूरा नहीं करने पर सरकार के वादा खिलाफी को लेकर कर्मचारियों ने अपनी दो सूत्रीय मांग मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण करने व नियमितीकरण की प्रकिया पूरी होने तक रोजगार सहायकों का वेतन निर्धारण करते हुए सभी मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। धरना स्थल पर सरकार के वादा-खिलाफी को लेकर वर्तमान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की जा रही है। मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर जाने से पंचायतों का कार्य पूरी तरह ठप पड़ चुका है।