राजनांदगाँव। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा से संबंधित सभी संगठनों छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ, छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन कर्मचारी, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षा कर्मचारी संघ, और प्रदेश के अन्य कर्मचारी संगठनों के प्रांत अध्यक्षों ने संयुक्त बैठक आयोजित करके 7 जुलाई २०२३ से पांच सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष गोपी वर्मा और मीडिया प्रभारी देवेंद्र साहू ने बताया है कि प्रदेश भर के शासकीय सेवक पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 7 जुलाई २०२३ को प्रान्तव्यापी बंद कर हड़ताल करेंगे, जिला, ब्लॉक/तहसील में समूहिक अवकाश लेकर धरना, प्रदर्शन और रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा जाएगा, और लंबे समय से अपनी मांगों को सरकार के सामने रखने के बावजूद उस पर सुनवाई नहीं हुई है। सरकार द्वारा मांगों को पूरा नहीं करने की स्थिति में 1 अगस्त २०२३ से अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। राज्य सरकार के इस उपेक्षापूर्ण रवैये से प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त सभी कर्मचारी अधिकारी संगठन पहली बार एकजुट होकर आंदोलन करने जा रहे हैं। प्रदेश में पहली बार सभी स्कूल, अस्पताल, सभी निगम, मंडल विभाग के कार्यालय बंद होंगे। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद सबसे बड़ा ऐतिहासिक आंदोलन को राज्य के सभी संगठनों ने समर्थन और सहयोग करने का निर्णय लिया है।
जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य की वित्तीय स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है, कुछ राज्यों जैसे झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा का नाम लेते हुए उन्होंने उन्हें छत्तीसगढ़ से अधिक कर्ज लेने वाला राज्य बताया है, परंतु उन्हें यह भी बताना चाहिए कि जिन राज्यों का नाम लिया गया है उन सभी राज्यों ने अपने राज्य के सभी कर्मचारियों को केंद्र के समान तिथि से पूरी मुफ्त मंहगाई राहत दी है। राज्य के सभी जिम्मेदार और उच्च अधिकारीगण राज्य की वित्तीय स्थिति का हवाला देकर चुप्पी साधते हैं और हर बार जायज मांगों की राशि नहीं देकर राज्य के सभी कर्मचारियों को आर्थिक और मानसिक हानि पहुंचाते जा रहे हैं। पूरे भारत देश में छत्तीसगढ़ एक अकेला राज्य है जहां केवल 33 प्रतिशत मुफ्त मंहगाई भत्ता/मंहगाई राहत मिल रहा है, जबकि बाकी सभी राज्यों में 100 प्रतिशत मंहगाई राहत दी जा रही है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के निर्णय के कारण सभी कर्मचारी अधिकारी संगठनों द्वारा यह अव्यवहारिक आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है।
यह आंदोलन छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों द्वारा अव्यवहारिक आंदोलन करने का एक प्रयास है ताकि वे अपनी मांगों को सरकार के सामने रख सकें और अपने अधिकारों की सुरक्षा कर सकें। यह आंदोलन भविष्य में अनिश्चितता का कारण बन सकता है और सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से देखने के लिए प्रेरित कर सकता है।