मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य एक जिले में पदस्थ महिला कांस्टेबल को लिंग परिवर्तन कराने की अनुमति दे दी है। तीन साल चली विधिक प्रक्रिया के बाद गृह विभाग ने उसको इसकी अनुमति दी। अब पुलिस मुख्यालय अलग से आदेश जारी करेगा। महिला कांस्टेबल को बचपन से ‘जेंडर आइडेंटिटी डिसआर्डर” है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय स्तर के तीन मनोचिकित्सकों ने की।
कांस्टेबल ने 2019 में केंद्र सरकार के राज-पत्र में लिंग परिवर्तन करवाने की मंशा की अधिसूचना प्रकाशित करवाई। सरकारी कर्मचारियों के लिए यह एक अनिवार्य शर्त है। वर्तमान में कांस्टेबल पुरुषों की भांति काम कर रही है। सरकारी नौकरी में रहते लिंग परिवर्तन कराने का यह प्रदेश में पहला और देश में तीसरा मामला है। इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस में एक महिला और उत्तर प्रदेश में रेलवे के पुरुष अधिकारी ने लिंग परिवर्तन कराया है। इसका उल्लेख महिला कांस्टेबल ने अपने आवेदन के साथ किया था।
इस आधार पर किया आवेदन : लिंग परिवर्तन कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एक फैसला सुनाया था। कौन-क्या रहना चाहता है। यह उसकी स्वतंत्रता है। इसी को आधार बनाकर महिला कांस्टेबल ने आवेदन किया।