वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रदान किया जाएगा। गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। इस घोषणा के साथ ही इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है।
कांग्रेस नेता की ओर से इसे उपहास बताया गया और इस फैसले पर सवाल खड़े किए गए। वहीं जब कांग्रेस ने आलोचना की तो बीजेपी की ओर से भी जवाब दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस फैसले पर कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जाना गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान है। वहीं गीता प्रेस की ओर से कहा गया है कि पुरस्कार स्वीकार है, लेकिन राशि लेने से इनकार कर दिया है। इसके पीछे उनकी ओर से वजह भी बताई गई। साल 1923 में गीता प्रेस की शुरुआत हुई और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है।