- शिक्षा से जुड़े करीब 30 हजार लोग हो सकते हैं बेरोजगार
रायपुर। कोरोना काल ने एजुकेशन सेक्टर से जुड़े लोगों की कमर तोड़ दी है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे राज्य के नौ हजार छोटे निजी स्कूल बंद होने की कगार में आ खड़े हैं। स्कूल बंद होने के साथ ही यहां काम करने वाले स्टाफ की भी नौैकरी में तलवार लटक रही है। स्कूल संचालकों की मानें तो पिछले सात माह से फीस के आभाव में स्कूल चलाना और स्टाफ को वेतन देना अब कठिन हो गया है। ऐसे में वह स्कूल बंद करने की हालात में आ गए है।
आज पूरा देश शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस माना रहा है, ऐसे में उन शिक्षकों की दयनीय स्थिति पर पेश है खास रिपोर्ट…
राज्य में कई ग्रेड के स्कूल हैं। सामान्य, अति सामान्य में मध्यम वर्गीय परिवार से जुड़े बच्चे पढ़ रहे हैं। वहीं राजधानी के कुछ नामी स्कूलों में शहर के एलीट क्लास के बच्चे पढ़ते हैं। राज्य में कोरोना काल में स्कूल और वहां काम करने वाले शिक्षकों पर बहुत ज्यादा असर हुआ है। बढ़ते केस को देखते हुए मार्च से ताला लगे स्कूलों के खुलने की कोई खास संभावना अब भी राज्य में नजर नहीं आ रही है। प्राइवेट स्कूल ऐसोसिऐशन के सचिव राजीव गुप्ता ने सर्वे के आधार पर दावा किया है कि राज्य में प्राइवेट स्कूलों की संख्या लगभग 9 हजार है। इनमें से राज्य भर में 2 हजार छोटे स्कूलों की हालत बहुत ही ज्यादा बदतर हो चुकी है। फीस न मिलने के कारण इन स्कूल का संचालन कर पाना संभव नहीं हो रहा, जिसके स्कूल बंद करना पड़ा और स्कूल से जुड़ा स्टाफ भी बेरोजगार हो चुका है।
स्कूल प्रबंधन दावा करते है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे की स्थिति ऐसी नहीं है कि वो ट्यूशन फीस भी नहीं दे सकते,लेकिन सुनी सुनाई बात और एक-दूसरे को देखादेखी लोग फीस देने की पहल नहीं कर रहे हैं। कई बार रिमाइंडर देने के बाद भी लोगों की तरफ से कोई भी जानकारी या मैसेज का जवाब नहीं दिया जा रहा है।
जो फीस नहीं दे पा रहें वो दें आवश्यक दस्तावेज
प्राइवेट स्कूलों की मानें तो ऐसे लोग जो फीस नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें फीस माफी की सुविधा भी है वे दस्तावेज देकर अपनी समस्या बता सकते हैं,लेकिन लोग ऐसा भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कब तक स्कूल प्रबंधन ये रास्ता देखेगा कि लोग फीस देंगे इसके लिए सरकार को कोई कदम उठाना चाहिए जिससे शिक्षक और स्कूल से जुड़े लोग बेरोजगार होने से बचे।
शिक्षा से जुड़े 30 हजार लोग होंगे बेरोजगार
राजीव गुप्ता ने दावा किया है कि कोरोना काल में स्कूलों से जुड़े 30 हजार लोग बेरोजगार हुए हैं। इसमें टीचर्स के अलावा वह स्टाफ भी शामिल है जो स्कूल के बाकि काम निपटाते थे। इनकी नौकरी भी जा चुकी है। स्कूल संचालक अब इस स्थिति में नहीं है कि वह बिना किसी आय के साधन नही होने के बाद भी इतने लंबे समय तक वेतन दे सके। वेतन कम मिलने, समय पर नहीं मिलने और कुछ को तो वेतन नहीं मिलने के कारण भी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
स्कूल की बिल्डिंग बेच कर चुका रहे कर्जा
ग्रामीण और शहरी इलाकों के कई छोटे स्कूल बंद हो चुके हैं कुछ किराए की बिल्डिंग में स्कूल चला रहे थे और कुछ ने अपनी खेती और जमीन बेच कर स्कूल बिल्डिंग तैयार की थी। ऐसे स्कूल संचालक अब कर्ज में दब चुके हैं। भाटापारा में दिशा पब्लिक स्कूल के संचालक संतोष तिवारी कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में राज्य सरकार हर व्यवसाय के लिए सोच रही है लेकिन स्कूलों का सुध लेने कोई नहीं आ रहा है। संतोष ने कर्ज लेकर और जमीन बेचकर स्कूल की बिल्डिंग बनाई थी, लेकिन अब हालत ऐेसी है कि स्कूल बेचने के लिए विज्ञापन देना पड़ रहा है। कोरोना काल में फीस नहीं आने के कारण स्कूल में कर्ज लगातार बढ़ते जा रहा है हालत ऐसी है कि वह स्कूल बंद कर उस बिल्डिंग को बेचकर कर्जा चुकाने की सोच रहे हैं।
60 प्रतिशत स्टाफ ही बचा है
राजधानी के प्राइवेट स्कूल के एडमिन संजय निमजे बताते हैं कि हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी लोग फीस नहीं दे रहे हैं। फीस एक मुश्त नहीं मांगी जा रही है। उसके लिए भी कई आप्शन है लेकिन फिर भी लोग ट्यूशन फीस नहीं दे रहे हैं। ऐसे हालत में स्कूल ने 60 प्रतिशत स्टाफ में कमी कर दी है। लोगों को आधी फीस में काम करना मजबूरी है, क्योंकि कोरोनाकाल में उनको अन्य सेक्टर मे नौकरी मिलना भी असंभव है। 40 प्रतिशत ऐसा स्टाफ जो छोटी क्लास के टीचर, आया बाई, ड्रायवर, कंडेक्टर, एडमिन सेक्टर के लोग बेरोजगार हो चुके हैं।
नहीं मिला राइट टू ऐजुकेशन का पैसा
स्कूलों में राइट टू ऐजुकेशन के तहत पढ़ने वाले बच्चों का पैसा भी अब तक राज्य सरकार ने स्कूलों को नहीं दिया गया है। भाटापारा के शंकराचार्य चैरिटेबल स्कूल के अध्यक्ष मनोज गुप्ता बताते हैं कि स्कूलों में राइट टू ऐजुकेशन का पैसा भी अब तक नहीं दिया गया है। आर्थिक संकट के समय वह बकाया पैसा मिलने पर स्कूल संचालकों को मदद मिलती। उनके मुताबिक 2018-2019 में शासन से पैसा दिया गया था, उसमें भी 30 से 35 प्रतिशत की कटौती कर जमा किया गया था। इस साल अब तक किसी भी तरह की राशी नही मिली है।
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