इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी और बीमार गाय भी कृषि के लिए उतनी ही उपयोगी है, इसलिए गाय की हत्या की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर गाय को मारने वाले को छोड़ा गया तो फिर अपराध करेगा। वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का विषय है। आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है।
सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने एक मामले में संभल के जावेद की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश दिया। आदेश में कहा गया कि पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। देश में पूजा पद्धति भले अलग-अलग हो, लेकिन सोच एक है। सभी एक-दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। जावेद पर आरोप है कि साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर वह जंगल ले गया। वहां अन्य गायों सहित खिलेंद्र की गाय को मारकर उसका मांस इकट्ठा करते हुए उसे टार्च की रोश्ानी में देखा गया। शिकायतकर्ता ने गाय के कटे सिर से पहचान की। आरोपी मौके से मोटरसाइकिल छोड़कर भाग गया। बाद में उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वह आठ मार्च से जेल में बंद हैं।
कोर्ट ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दंड देने का आदेश दिया था। यही नहीं, कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी। गाय का मल व मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की चर्बी को लेकर मंगल पांडेय ने क्रांति की थी। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है।
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न्यायाधीश अन्य टिप्पणियां
-जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी और बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। यह कृषि की रीढ़ है।
-24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है, जबकि गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है।
-कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी। गाय का मल व मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की महिमा का वेदों-पुराणों में बखान किया गया है। रसखान ने कहा है कि ‘उन्हें जन्म मिले तो नंद की गायों के बीच मिले।”