चीन और पाकिस्तान को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय सेना विरोधियों की आक्रामक कार्रवाइयों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षा मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि नौ दिसंबर को अरुणाचल के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण् रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों ने अतिक्रमण की कोशिश की थी और भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों को खदेड़ दिया था। चीन की इस हरकत के बाद से सियासत चरम पर है। विपक्ष इस मुद्दे पर संसद में सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे समय में सरकार ने देशवासियों को इस बयान के जरिये आश्वस्त किया है।
रक्षा मंत्रालय ने साल के अंत में समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि चीन के साथ लगती सीमा पर भारतीय सैनिकों ने ढ़ता और मजबूती से चीनी सेना को करारा जवाब दिया। सेना मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उत्पन्न् खतरों की लगातार निगरानी और समीक्षा कर रही है। एलएसी और नियंत्रण रेखा (एलओसी-पाकिस्तान के साथ) पर स्थिरता और प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए अपनी आपरेशनल तैयारियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। एलओसी की स्थिति का उल्लेख करते हुए मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल फरवरी से भारतीय और पाकिस्तानी दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष विराम की सहमति के बाद स्थिति अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रही है। मंत्रालय ने कहा कि 2020 में संघर्ष विराम उल्लंघन की 4645 घटनाओं की तुलना में फरवरी 2021 में हुए समझौते के बाद से केवल तीन छोटी घटनाएं हुईं। 2022 में केवल एक घटना हुई।
मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान अभी भी छद्म युद्ध जारी रखे हुए है और आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों की सक्रियता, लांच पैड्स में आतंकवादियों की मौजूदगी और लगातार घुसपैठ के प्रयास उसकी मंशा दर्शाते हैं। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान “नार्को-टेरर” गठजोड़ का फायदा उठाना जारी रखे हुए है और बेकसूर युवाओं के हाथ में हथियार और ग्रेनेड थमाकर उन्हें कमजोर नागरिकों को निशाना बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। मंत्रालय ने कहा है कि सेना ने लगातार उग्रवाद-विरोधी और आतंकवाद-रोधी अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
इसमें कहा गया है कि भारतीय सेना सैन्य आधुनिकीकरण के साथ-साथ विरोधियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहती है। सेना ने साइबर, अंतरिक्ष और सूचना क्षेत्र में उभरते खतरों से निपटने के लिए क्षमता का निर्माण किया है। रक्षा मंत्रालय ने चीन और पाकिस्तान के मिलीभगत के खतरे से उत्पन्न् होने वाली संभावित चुनौतियों पर भी चिता जताई है। पूर्वी लद्दाख विवाद का उल्लेख करते हुए मंत्रालय ने कहा कि क्षेत्र में बचे हुए गतिरोध वाले स्थलों पर तनाव कम करने के लिए बैठकें चल रही हैं।
सेना में सुधारों पर मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सेना को एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी) माडल पर चरणबद्ध तरीके से तैयार किया जा रहा है ताकि बल को और चुस्त-दुरुस्त किया जा सके। इसका एक चरण पूरा होने को है। आईबीजी पहल के तहत सेना का लक्ष्य बल के विभिन्न् घटकों को नए गठन में एकीकृत करना है जिसमें तोपखाने की बंदूकें, टैंक, वायु रक्षा और रसद तत्व शामिल होंगे।