भारतीय महिलाएं और बेटियां अपनी दिलेरी और जुझारूपन के लिए जानी जाती हैं। इसी कडी में इतिहास रच चुकी भारतीय महिला हाकी टीम का ओलिंपिक में पहली बार सोने जीतने का सपना अर्जेंटीना ने सेमीफाइनल में 2-1 से जीत के साथ तोड़ दिया। इस हार से भारतीय खिलाड़ियों के दिल जरूर टूटे होंगे, लेकिन उनका सिर फख्र से ऊंचा होगा, क्योंकि ओलिंपिक जाने से पहले किसी ने उनके अंतिम-चार में पहुंचने की कल्पना भी नहीं की थी। भारत के पास अभी भी कांस्य पदक जीतने का मौका है जिसके लिए शुक्रवार को उसका सामना तीसरे चौथे स्थान के मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन से होगा।
भारत के लिए गुरजीत कौर ने दूसरे मिनट में गोल किया, लेकिन अर्जेंटीना के लिए कप्तान मारिया बारियोनुएवा ने 18वें और 36वें मिनट में पेनाल्टी कार्नर तब्दील किए। इससे पहले भारतीय टीम ने तीन बार की चैंपियन आस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। भारतीय टीम 1980 के मास्को ओलिंपिक में छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। उस समय पहली बार ओलिंपिक में महिला हॉकी को श्ाामिल किया गया था और राउंड रॉबिन प्रारूप में मुकाबले खेले गए थे । फाइनल में अर्जेंटीना का सामना नीदरलैंड से होगा ।
भारत को दूसरे ही मिनट में गुरजीत ने बढत दिलाई जिसने क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ भी विजयी गोल दागा था। कप्तान रानी ने भारत को पेनाल्टी कार्नर दिलाया जिसे गुरजीत ने गोल में बदला। इसके तीन मिनट बाद ही हालांकि अर्जेंटीना ने बराबरी का मौका गंवाया। मारिया जोस ग्रानाटो बायें फ्लैंक से गेंद लेकर आगे बढ़ी और सर्कल के भीतर घुस गई हालांकि मुस्तैद भारतीय डिफेंडरों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
अर्जेंटीना को जवाबी हमलों के बीच आठवें मिनट में मिला पेनाल्टी कार्नर भी बेकार गया। पहले क्वार्टर में भारतीयों ने गेंद पर नियंत्रण्ा और बचाव दोनों में बाजी मारी। लेकिन दूसरे क्वार्टर में तस्वीर उलटी थी और अर्जेंटीना के तेवर बदले हुए थे। इसका फायदा उन्हेंं तीसरे ही मिनट में पेनाल्टी कार्नर के रूप में मिला जिसे कप्तान मारिया ने गोल में बदला। भारत ने इसी क्वार्टर में फिर बढ़त बनाने का मौका गंवाया। भारत की हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया ने दाहिने फ्लैंक से अच्छा मूव बनाते हुए सर्कल के भीतर लालरेम्सियामी को गेंद सौंपी जो उस पर नियंत्रण्ा नहीं बना सकी। दूसरे क्वार्टर में भारत को मिले दोनों पेनाल्टी कार्नर बेकार गए।
अर्जेंटीना को 28वें मिनट में पेनाल्टी कार्नर मिला जिस पर आगस्टिना गोरजेलानी के श्ााट को दीप ग्रेस इक्का ने बचाया। तीसरे क्वार्टर में भारत ने आक्रामक श्ाुरुआत की और नेहा ने बायें फ्लैंक से गेंद लेकर डी के भीतर पहुंचाने की कोश्ािश्ा की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इस बीच, अर्जेंटीना ने पेनाल्टी कार्नर की मांग करते हुए अपना रेफरल गंवा दिया। जवाबी हमले में अर्जेंटीना ने पेनाल्टी कार्नर बनाया जिसे गोल में बदलकर मारिया ने टीम को बढ़त दिला दी। भारत ने इस पेनल्टी के खिलाफ रेफरल भी लिया जो असफल रहा।
आखिरी क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ियों ने गोल करने की भरसक कोश्ािश्ा की, लेकिन अर्जेंटीना के डिफेंडरों ने उन्हेंं कामयाब नहीं होने दिया। आखिरी सीटी बजने से कुछ सेकेंड पहले सर्कल के बाहर से उदिता की हिट पर नवनीत कौर के श्ााट को अर्जेंटीना के डिफेंडर ने बाहर कर दिया। भारतीयों ने खतरनाक तरीके से गेंद के उछलने को लेकर रेफरल मांगा जो टीवी अंपायर ने खारिज कर दिया।
सेमीफाइनल में हारीं लवलीना, कांस्य मिला
भारत की स्टार मुक्केबाज लवलीना बोरगोहाई (69 किग्रा) को महिला वेल्टरवेट वर्ग (69 किग्रा) के सेमीफाइनल में तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ शिकस्त के साथ कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। साथ ही टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाजों का अभियान एक कांस्य पदक के साथ खत्म हुआ। ओलिंपिक में पदार्पण कर रही विश्व चैंपियनश्ािप की दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना के खिलाफ बुसेनाज ने शुरुआत से ही दबदबा बनाया और सर्वसम्मति से 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रहीं। लवलीना का पदक पिछले नौ वर्षों में भारत का ओलिंपिक मुक्केबाजी में पहला पदक है।
असम की मुक्केबाज को कई चेतावनियों के बावजूद रेफरी के निर्देश नहीं मानने के लिए दूसरे दौर में एक अंक की कटौती का सामना भी करना पड़ा। लवलीना ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मुझे क्या कहना चाहिए। मैंने जो योजना बनाई थी, उसे लागू नहीं कर पाई। मैं इससे बेहतर कर सकती थी।” लवलीना ओलिंपिक मुक्केबाजी प्रतियोगिता फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय मुक्केबाज बनने के लिए चुनौती पेश्ा कर रही थीं, लेकिन विश्व चैंपियन बुसेनाज ने उनका सपना तोड़ दिया। भारतीय मुक्केबाज के पास तुर्की की खिलाड़ी के दमदार मुक्कों और तेजी का कोई जवाब नहीं था। इस बीच हड़बड़ाहट में भी लवलीना ने गलतियां की।
लवलीना ने मुकाबले की अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन लेकिन बुसेनाज अपने दमदार हुक और शरीर पर जड़े मुक्कों से धीरे-धीरे हावी होती चली गई। तीसरा दौर पूरी तरह एकतरफा रहा जिसमें लवलीना को दो बार दमदार मुक्के खाने के बाद आठ काउंट (रेफरी मुकाबला रोकर आठ तक गिनती गिनता है) का सामना करना पड़ा।
लवलीना हालांकि क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की पूर्व विश्व चैंपियन नीन चिन चेन को हराकर पहले ही पदक पक्का करके इतिहास रच चुकी थी। असम की 23 वर्षीय लवलीना ने विजेंद्र सिंह (बीजिंग 2008) और एमसी मेरी कोम (लंदन 2012) की बराबरी की। विजेंद्र और मेरी कोम दोनों ने कांस्य पदक जीते थे।
तुर्की की 23 साल की मुक्केबाज बुसेनाज 2019 चैंपियनशिप में विजेता रही थी जबकि उस प्रतियोगिता में लवलीना को कांस्य पदक मिला था। तब इन दोनों के बीच मुकाबला नहीं हुआ था।
भारत का कोई पुरुष मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाया था। क्वार्टर फाइनल में पहुंचे सतीश्ा कुमार (91 किग्रा से अधिक) को विश्व चैंपियन बकोहोदिर जलोलोव के खिलाफ श्ािकस्त झेलनी पड़ी थी। चार अन्य पुरुष मुक्केबाज पहले दौर में ही हार गए थे। महिला वर्ग में भारत की अन्य मुक्केबाजों में छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मेरी कोम (51 किग्रा) को प्री क्वार्टर फाइनल जबकि पूजा रानी (75 किग्रा) को क्वार्टर फाइनल में श्ािकस्त झेलनी पड़ी थी।