राजधानी रायपुर में भी गुरुवार 13 अक्टूबर को करवाचौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज तड़के सरगी खाकर महिलाओं ने करवा चौथ के व्रत का शुभारंभ किया। सरगी की थाली में फल, मिठाईयां और ड्रायफ्रूट्स होते हैं। वैसे तो करवा चौथ की सरगी सास अपनी बहू को देती है, लेकिन उनके नहीं होने पर जेठानी, बहन या फिर कोई भी खुद से बड़ी महिला इसे आपको दे सकती हैं।सरगी को सूर्योदय से पहले खाया जाता है। इसके बाद कोई भी सुहागिन चांद की पूजा हो जाने तक निर्जला उपवास रखती हैं। रात में चांद की पूजा करने के बाद महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ का व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। राजधानी रायपुर में रात 8 बजकर 07 मिनट पर चंद्रोदय का समय बताया गया है, लेकिन आज हो रही बारिश ने जरूर थोड़ी सी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अगर बादल छाए रहे, तो चांद का दीदार करने में मुश्किल आएगी।ज्योतिषियों का मानना है कि सूर्य और चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते, केवल धरती के घूमने के कारण हमें ये दिखाई नहीं देते, इसलिए चांद नहीं दिखाई देने पर भी पूजा की जा सकती है। अगर इस तरह की स्थिति आए, तो सुहागिनें पूर्व-उत्तर दिशा में पूजा करके अर्घ्य दे सकती हैं। साल 1975 के बाद गुरू स्वराशि में है। आज चंद्रमा भी खुद के नक्षत्र यानी रोहिणी में रहेगा। इसलिए इस बार का करवा चौथ बेहद शुभ माना जा रहा है। आज शिव-पार्वती, कार्तिकेय गणेश जी, चौथ माता, चंद्र देव के साथ-साथ विष्णु-लक्ष्मी और गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा जरूर करें। इधर करवा चौथ के एक दिन पहले बुधवार को महिलाओं की भीड़ मेहंदी लगवाने के लिए लगी रहीं। बाजारों में भी भारी भीड़ दिखाई दी। कपड़े, ज्वेलरी से लेकर पूजा के सामान के लिए महिलाएं दुकानों में नजर आईं। चूंकि ये त्योहार पति के लिए किया जाता है, इसलिए ब्यूटी ट्रीटमेंट लेने के लिए भी सुहागिनें पार्लर में नजर आईं। आज भी ब्यूटी पार्लर बुक हैं। इसके अलावा करवा चौथ से एक दिन पहले बुधवार को हेमू कालाणी वार्ड के पार्षद बंटी होरा ने भी महिलाओं के लिए निशुल्क मेहंदी लगवाने और चांद देखने के लिए छलनी की व्यवस्था की। इस मौके पर वार्ड की कई महिलाएं मौजूद थीं।
करवा चौथ की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। इसके बाद करवा माता की फोटो रखें और पूजा स्थल पर करवा रखें। इसके बाद प्रसाद अर्पित कर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। एक लोटा, वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। करवा में पानी भरकर उसमें सिक्का डालकर उसे लाल कपड़े से ढंकें। पूजा की थाली में श्रृंगार का सामान रखकर करवाचौथ की कथा सुनें या खुद पढ़ें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दें।