संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आधार बने थे
केरल। केरल के कासरगोड जिले में स्थित इदानीर मठ के प्रमुख केशवानंद भारती का 80 वर्ष की आयु में आज निधन हो गया। केरल भूमि सुधार (संशोधन) अधिनियम 1969 को चुनौती देने वाली इनकी याचिका पर ही 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के बुनियादी ढांचे संबंधी ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। भूमिहीन किसानों को जमीन बांटने के उद्देश्य से केरल सरकार द्वारा पारित भूमि सुधार कानून के खिलाफ भारती ने 21 मार्च 1970 को शीर्ष अदालत का रुख किया था। इदानीर मठ प्रमुख केशवानंद भारती लंबे समय से बीमार थे। उल्लेखनीय है कि चार दशक पहले भारती ने केरल भूमि सुधार कानून को चुनौती दी थी जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिया और यह फैसला शीर्ष अदालत की अब तक सबसे बड़ी पीठ ने दिया था, जिसमें 13 न्यायाधीश शामिल थे। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले पर 68 दिन तक सुनवाई हुई थी और अब तक सुप्रीम कोर्ट में सबसे अधिक समय तक किसी मुकदमे पर चली सुनवाई के मामले में यह शीर्ष पर है। इस मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू हुई और 23 मार्च 1973 को सुनवाई पूरी हुई। भारतीय संवैधानिक कानून में इस मामले की सबसे अधिक चर्चा होती है। मद्रास हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के। चंद्रू से इस मामले के महत्व के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, ह्यकेशवानंद भारती मामले का महत्व इस पर आए फैसले की वजह से है, जिसके मुताबिक संविधान में संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके मूल ढांचे में नहीं।