विज्ञानियों ने एक नए अध्ययन में पाया कि अकेलेपन के कारण टाइप-2 डायबिटीज के विकास का खतरा दोगुना हो सकता है। अध्ययन निष्कर्ष यूरोपियन एसोसिएशन फार द स्टडी आफ डायबिटीज (ईएएसडी) की पत्रिका डायबेटोलाजिया में प्रकाशित हुआ है। शोध टीम का नेतृत्व नार्वे यूनिवर्सिटी आफ एप्लाइड साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर रोजर ई. हेनरिकसेन ने किया।
अकेलापन व टाइप-2 डायबिटीज के विकास के संबंधों का पता लगाते हुए टीम ने यह भी जानने का प्रयास किया कि क्या इसके लिए अवसाद व अनिद्रा भी जिम्मेदार है। पूर्व में शोधकर्ता तनाव व टाइप-2 डायबिटीज के संबंधों का पता लगा चुके हैं। अकेलेपन के कारण दीर्घकालिक विकार पैदा होते हैं, जिससे शारीरिक तनाव की प्रक्रिया तेज हो सकती है। हालांकि, पूरी प्रक्रिया को अभी सही से नहीं समझा जा सका है।
विज्ञानियों का मानना है कि यह टाइप-2 डायबिटीज के विकास में अहम भूमिका निभा सकती है। दरअसल, स्टेरायड हार्मोन में तनाव के कारण इंसुलिन का उत्सर्जन बाधित हो जाता है। इस प्रक्रिया के कारण मस्तिष्क के स्तर पर व्यक्ति के खाने-पीने की आदत के नियमन में भी बदलाव हो जाता है। व्यक्ति अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का सेवन करने लगता है, जिसके कारण ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि हो जाती है।