अमेरिकी दौरे लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को फिर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए राष्ट्र को संबोधित किया। इस कार्यक्रम को सुबह 11 बजे आकाशवाणी और दूरदर्शन के पूरे नेटवर्क और आकाशवाणी समाचार और मोबाइल एप पर भी प्रसारित किया गया। यह 81वां एपिसोड था।
आज ‘वर्ल्ड रिवर डे’ है, इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नदियों को बचाने का आह्वान किया। हमारे यहां कहा गया है– “पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः अर्थात् नदियां अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिये देती हैं।” हमारे लिये नदियां एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है और तभी तो, तभी तो हम, नदियों को मां कहते हैं। हमारे शास्त्रों में नदियों में जरा सा प्रदूषण करने को गलत बताया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान के पश्चिमी हिस्से में पानी की बहुत कमी है, इसलिए वहां अब एक नई परंपरा विकसित हुई है। उदाहरण के लिए गुजरात में बारिश की शुरुआत होती है तो वहां जल-जीलनी एकादशी मनाते हैं। आज के युग में हम इसे कैच द रेन कहते हैं। यह वही बात है कि जल की एक-एक बूंद को अपने में समेटना। उसी प्रकार से बारिश के बाद बिहार और पूरब के हिस्सों में छठ का महापर्व मनाया जाता है। मुझे उम्मीद है कि छठ पूजा को देखते हुए नदियों के किनारे, घाटों की सफाई और मरम्मत की तैयारी शुरू कर दी गई होगी।’
उन्होंने कहा कि जब हम हमारे देश में नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से हर कोई एक प्रश्न उठाएगा। कोई भी सवाल पूछेगा कि आप नदी के इतने गीत गा रहे हो, नदी को मां कह रहे हो तो ये नदी प्रदूषित क्यों हो जाती है? हमारे शास्त्रों में तो नदियों में प्रदूषण करने को गलत बताया गया है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजकल ई-नीलामी चल रही है। ये इलेक्ट्रॉनिक नीलामी उन उपहारों की हो रही है, जो मुझे समय-समय पर लोगों ने दिए हैं। इस नीलामी से जो पैसा आएगा, वो ‘नमामि गंगे’ अभियान के लिये ही समर्पित किया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘बहुत लोग जानते होंगे कि जिस साबरमती के तट पर महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम बनाया था। पिछले कुछ दशकों में यह साबरमती नदी सूख गयी थी। साल में 6-8 महीने पानी नजर ही नहीं आता था, लेकिन नर्मदा नदी और साबरमती नदी को जोड़ दिया तो आज आप अहमदाबाद जाओगे तो साबरमती नदी का पानी ऐसा मन को प्रफुल्लित करता है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे आज के नौजवान को ये जरुर जानना चाहिए कि साफ़-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आन्दोलन को एक निरंतर ऊर्जा दी थी। ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आन्दोलन बनाने का काम किया था। महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था।’ उन्होंने कहा, ‘आज इतने दशकों बाद, स्वच्छता आन्दोलन ने फिर देश को नए भारत के सपने के साथ जोड़ने का काम किया है। पीढ़ी दर पीढ़ी स्वच्छता का अभियान चलता है, तब सम्पूर्ण समाज जीवन में स्वच्छता का स्वभाव बनता है। ये स्वच्छता पूज्य बापू को इस देश की बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है और ये श्रद्धांजलि हमें हर बार देते रहना है, लगातार देते रहना है।’
उन्होंने कहा हमारे लिए ख़ुशी की बात है आज गांव-देहात में भी यूपीआई से डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है। एक महीने में यूपीआई से 355 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं। आज औसतन 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता, पारदर्शिता आ रही है।’
उन्होंने बताया कि खादी और हैंडलूम का उत्पादन भी कई गुना बढ़ा है। दिल्ली के खादी के एक शोरूम में एक दिन में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ है। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती है और उस दिन भी एक नया रिकॉर्ड बनाएं। उन्होंने कहा कि दिवाली के त्योहार में खादी, हैंडलूम और कुटीर उद्योग से खरीदारी ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को मजबूत करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। आज हेल्थकेयर और वेलनेस को लेकर जागरूकता और जिज्ञासा बढ़ी है। रांची के सतीश ने झारखंड के एलोवेरा विलेज के बारे में बताया है। यहां मंजू कच्छप के नेतृत्व में महिलाएं एलोवेरा की खेती कर रहीं हैं। कोरोनाकाल में भी इनकी कमाई हुई, क्योंकि सैनेटाइजर बनानी वाली कंपनियों ने इन एलोवेरा को खरीदा। ओडिशा के पतायत साहू ने भी मेडिकल प्लांट लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने खेती को जिस प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र से जोड़ा है, वो एक अपने आप में एक मिसाल है।