
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यह भाजपा का टीका है, इसलिए वह इसे नहीं लगवाएंगे। कांग्रेस के कई नेता भी वैक्सीन की सफलता पर संदेह जता रहे हैं। कोरोना वैक्सीन पर इस तरह की सियासत और धार्मिक विरोध से मुस्लिम धर्मगुरु खफा हैं। उन्होंने गुजारिश की है कि मुल्क के लोगों को बरगलाना नहीं चाहिए, बल्कि इसके लिए उन्हें प्रेरित करना चाहिए।
जमीयत-उलेमा-ए-हिद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुल्क के लोगों को कोरोना से बचने के लिए टीका जरूर लगवाना चाहिए। किसी भी तरह की अफवाह और सियासत में लोगों को नहीं पड़ना चाहिए। यह जान बचाने की दवा है और वह इसके इस्तेमाल का लोगों से आग्रह करते हैं।
शिया जामा मस्जिद के शाही इमाम मोहसिन तकवी ने वैक्सीन टीके के विरोध को अज्ञानता बताते हुए कहा कि जो लोग इसके बारे में बेवकूफी भरी बातें कर रहे हैं, उन्हें अल्पज्ञान है। इसलिए लोगों को भी इनके चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए। अगर ऐसे ही अफवाहों में पड़ते रहे तो कुछ भी नहीं कर पाएंगे।
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डा. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि अफवाह ध्यान नहीं देना चाहिए। टीके के ऊपर लेबल लगा होगा, जिसमें उसमें डाले गए तत्वों की जानकारी होगी। सरकार को भी चाहिए कि इसके बारे में चल रही अफवाहों को तत्काल दूर कर दे।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद अफजाल ने कहा कि जो भी इस टीके का विरोध कर रहे हैं, वे इंसानियत के दुश्मन के साथ देश के भी दुश्मन हैं, क्योंकि वह देश को एक बीमार राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं।