पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर रिहाई पर जवाब मांगा है। यह नोटिस केंद्रीय गृह मंत्रालय और बिहार सरकार के सेंटेंस रिमेशन बोर्ड को भी दिया है। नोटिस का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। बिहार सरकार से रिहाई से जुड़ा रिकॉर्ड देने को भी कहा है। बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया था, इसके बाद आनंद मोहन सिंह गुरुवार सुबह 6:15 बजे सहरसा जेल से रिहा हुए थे।
जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने सुनवाई करते हुए काउंटर एफिडेविट देने को कहा है। साथ ही आनंद मोहन को भी नोटिस सर्व करने का आदेश दिया है। तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने कहा कि हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। बिहार सरकार और इसमें शामिल अन्य लोगों को नोटिस जारी किया है। उन्हें दो सप्ताह में जवाब देना है। उन्होंने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलेगा।
बिहार सरकार द्वारा नियमों में बदलाव कर देने से जी कृष्णैया की हत्या में दोषी आनंद मोहन को 27 अप्रैल को रिहा कर दिया गया था। 29 अप्रैल को जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने इस रिहाई को चुनौती दी थी। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गई है। कोर्ट में सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने उमा कृष्णैया का पक्ष रखा है।