कलेक्टर आशीष सिंह ने चिकित्सकों के साथ की बैठक
अशोक महावार,उज्जैन । कलेक्टर आशीष सिंह ने गुरूवार को बृहस्पति भवन में कोरोना संक्रमण के बाद कुछ लोगों में हो रही ब्लैक फंगस बीमारी के लेकर चिकित्सकों के साथ बैठक में चर्चा की। कलेक्टर ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी के संबंध में जन-जागरूकता फैलाई जाने की आवश्यकता है। बैठक में चिकित्सकों द्वारा जानकारी दी गई कि कोविड संक्रमण के दौरान यदि कार्टिको एस्टेरॉईड या अन्य दवावों का उपयोग करने पर ब्लड शुगर लेवल अधिक बढ़ जाता है, जिस वजह से ब्लैक फंगस बीमारी की संभावना खासतौर पर शुगर के मरीजों में बढ़ जाती है।
डायबिटिस के मरीजों में ब्लैक फंगस बीमारी होने का खतरा अधिक है। इसके प्रमुख लक्षण हैं:- चेहरे और आँख में दर्द होना, नाक बंद होना, नाक से काले रंग अथवा लाल रंग का पानी निकलना तथा जब बीमारी बढ़ जाती है तो आँखों से कम दिखाई देने लगता है तथा आँख में और चेहरे के आसपास सूजन आ जाती है। इसका प्रमुख कारण कोविड होना ही है, इस वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। साथ ही कोविड के ईलाज मे दिये जाने वाले इंजेक्शन के साईड इफेक्ट की वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण भी यह रोग हो सकता है। ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहे और बाकी उपचार चलता रहे तो इससे बचा जा सकता है।
साथ ही प्रतिदिन नाक की नमकीन पानी से धुलाई (जल नैती) करने से भी इससे बचा जा सकता है। इस रोग के उपचार में सर्जरी की जाती है, जिसमें इण्डोस्कॉपी के द्वारा फंगस का टिश्यू निकाला जाता है। इस रोग से बचाव के लिए अस्पतालों में ऑक्सिजन देते समय डिस्टील वॉटर का प्रयोग किया जाये तथा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाये। ब्लैक फंगस रोग के लक्षण सामान्य तौर पर कोरोना के ईलाज के दौरान अथवा 4 से 5 दिनों में दिखाई दे सकते हैं। अत: उक्त लक्षण होने पर तुरंत ईएनटी चिकित्सक/ओपीडी मे जाकर परामर्श लें।
बैठक में डॉ. सुधाकर वैद्य, डॉ. राजेन्द्र बंसल, डॉ. तेजसिंह चौधरी, डॉ. जैथलिया, डॉ. राहुल तेजनकर मौजूद थे।
शहर में ब्लैक फंगल बीमारी के लिए 15 बेड का वार्ड शुरू
उज्जैन।ब्लैक फंगल यानी म्यूकर माइकोसिस के मरीजों के लिए भी आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 15 बेड का वार्ड शुरू कर दिया गया है। यहां गुरुवार तक पांच मरीज भर्ती थे। इनमें से दो के ऑपरेशन सफलतापूर्वक कर फंगल को निकाल भी दिया गया।
अब वे सभी खतरे से बाहर हैं। चुनौती यह कि इन मरीजों के लिए जो इंजेक्शन चाहिए वह उज्जैन के अलावा इंदौर में भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में कलेक्टर ने भरोसा दिलाया है कि वे इसकी व्यवस्था करवाएंगे। कोरोना से ठीक हुए ऐसे मरीज जिन्हें शुगर की भी परेशानी हैं, उनमें ब्लैक फंगल की समस्या सामने आ रही है। जिले में इस बीमारी के सामने आए पांच मरीज भी कोरोना से ठीक हुए हैं। इनकी उम्र 30 से 55 वर्ष के बीच हैं। मेडिकल कॉलेज में शुरू किए गए वार्ड में इन्हें भर्ती कर प्रत्येक की जानकारी व हेल्थ हिस्ट्री रखी जा रही हैं।
ताकि इस बीमारी से निपटने में मदद मिले व इनसे जुड़ी मेडिसिन की जरूरतों को पूरा किया जा सके। गुरुवार को मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड के प्रभारी व ईएनटी सर्जन डॉ. सुधाकर वैद्य से कलेक्टर आशीष सिंह से ब्लैक फंगल के मरीजों के इलाज की व्यवस्थाओं को लेकर मीटिंग की।
विशेषज्ञ बोले- जिस तरह से मुंह को धोते हैं इसी तरह नाक की भी सफाई करते रहें
कुछ मरीजों की दूरबीन से सर्जरी कर निकाली फंगल
डॉ. वैद्य ने बताया ब्लैक फंगल के कुछ मरीजों का दूरबीन से सर्जरी व ऑपरेशन कर फंगल निकाल दिया गया है। इन मरीजों के लिए जरूरी व प्रभावी दवाई एम्फोटेरेसीन-बी नामक इंजेक्शन ना तो उज्जैन में मिल रहा है न इंदौर में। इस पर कलेक्टर आशीष सिंह ने भरोसा दिलाया कि वे इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करवाएंगे। डॉ. वैद्य ने कहा इस इंजेक्शन का डोज विशेषज्ञ की निगरानी में ही लेना जरूरी है क्योंकि यह किडनी पर भी असर डालता है।
पहले ब्लैक फंगल के सालभर में दो से तीन केस आते थे
कोविड वार्ड के प्रभारी व ईएनटी सर्जन डॉ. सुधाकर वैद्य ने बताया कि पहले ब्लैक फंगल के सालभर में दो से तीन मरीज ही आते थे। अब तो एक सप्ताह में ही पांच रोगी सामने आ गए हैं। ब्लैक फंगल मरीज के दिमाग, फेफड़े या त्वचा व आंख पर अटैक कर सकता है। इससे आंख की रोशनी जा सकती है। यदि फंगल दिमाग में चला जाए तो पैरालिसिस व मौत होने की भी आशंका रहती है।
विशेषज्ञों ने कहा- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व शुगर मरीजों को खतरा अधिक
कोविड संक्रमण के दौरान यदि कार्टिको स्टेरॉयड या अन्य दवाओं का उपयोग करने पर ब्लड शुगर लेवल अधिक बढ़ जाता है, जिससे ब्लैक फंगल की संभावना खासतौर पर शुगर के मरीजों में बढ़ जाती है। यह जानकारी गुरुवार को ईएनटी के विशेषज्ञों ने दी।
यह विशेषज्ञ कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा बृहस्पति भवन में ब्लैक फंगल के नियंत्रण को लेकर बुलाई गई बैठक में शामिल थे। कलेक्टर ने कहा ब्लैक फंगल के संबंध में जन जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों ने बताया डायबिटिक मरीजों में ब्लैक फंगल होने का खतरा अधिक है। इसके प्रमुख लक्षण हैं कि चेहरे और आंख में दर्द होना, नाक बंद होना, नाक से काले रंग अथवा लाल रंग का पानी निकलना तथा जब बीमारी बढ़ जाती है तो आंखों से कम दिखने लगता है, आंख और चेहरे के आसपास सूजन आ जाती है।
इसका प्रमुख कारण कोविड होना ही है, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। कोविड के इलाज में दिए जाने वाले इंजेक्शन के साइड इफेक्ट से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से भी यह रोग हो सकता है। ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहे और बाकी उपचार चलता रहे तो इससे बचा जा सकता है।
डॉ. सुधाकर वैद्य ने कहा कि प्रतिदिन नाक की नमकीन पानी से धुलाई (जल नैती) करने से भी इससे बचा जा सकता है। ब्लैक फंगल रोग के लक्षण सामान्य तौर पर कोरोना के इलाज के दौरान अथवा 4 से 5 दिनों में दिखाई दे सकते हैं। अत: उक्त लक्षण होने पर तुरंत ईएनटी चिकित्सक व ओपीडी मे जाकर परामर्श लें।