देश की सबसे सुरक्षित जेल तिहाड़ को आतंक की नर्सरी बनाने साजिश रची गई थी। यह सब आईएस के इशारे पर किया गया था। इस साजिश को अंजाम देने की जिम्मेदारी तिहाड़ में बंद अमरोहा माड्यूल के दो आतंकियों को सौंपी गई थी। इस बात का खुलासा पारा (मर्करी) प्रकरण के बाद आतंकियों और कैदियों से की गई पूछताछ के दौरान हुआ। इस खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई। साथ ही जेल में बंद दंगा के आरोपियों से भी पूछताछ की गई। हालांकि, तिहाड़ जेल प्रशासन इस प्रकरण खामोश है।
सूत्रों के मुताबिक दंगे के दो आरोपितों की हत्या कराने की साजिश रचने के आरोप में आइएस के दो आतंकियों अब्दुल सामी और अजीमुसान अजीम का नाम सामने आया था। इसके बाद स्पेशल सेल सहित तमाम सुरक्षा एजेंसियों ने जेल में बंद आम कैदियों और आतंकियों पर नजर रखनी शुरू कर दी है। इस बीच सुरक्षा एजेंसियों ने दंगा के आरोपियों से पूछताछ भी की है। इस दौरान पता चला है कि दोनों आतंकी कौम पर अत्याचार किए जाने के नाम पर दूसरे कैदियों को कट्टर बनाने का प्रयास कर रहे थे। कई कैदियों के दिमाग में इन आतंकियों ने जहर घोलने का काम किया है। इधर, तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी आतंकियों पर विशेष नजर रखना शुरू कर दिया है।
गौर हो कि 2015 में एनआइए ने पहले आइएस आतंकी अब्दुल सामी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद स्पेशल सेल ने 2016 में आइएस आतंकी अजीमुसान अजीम को गिरफ्तार किया था। जांच से पता चला था कि दोनों अमरोहा माड्यूल के हैं। इन्होंने 2013-15 के बीच आइएस आतंकियों की भर्ती में भूमिका निभाई थी। आइएस के आका के निर्देश पर इन्होंने भारत में भी युवाओं को कट्टर बना संगठन से जोड़कर छोटे माड्यूल बनाए थे। उक्त संगठनों के नाम हरकत-उल-हरब-ए-इस्लाम और जुनूद-उल-खलीफा-फिल-हिद दिए गए थे। अमरोहा माड्यूल देशभर में पैर पसारने की कोशिश कर रहा था। इस बीच एनआइए और स्पेशल सेल ने एक के बाद एक 15 से अधिक आइएस आतंकियों को दबोचकर इनकी कमर तोड़ दी थी।