
छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मीडिया कवरेज पर लगाए गए प्रतिबंधों को पत्रकारों के विरोध और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नाराजगी के बाद आखिरकार निरस्त कर दिया गया। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शनिवार को औपचारिक रूप से इस विवादास्पद आदेश को स्थगित करने का आदेश जारी किया। इस कदम को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता और पारदर्शिता की दिशा में बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने 13 जून 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें मरीजों की गोपनीयता का हवाला देकर सरकारी अस्पतालों में मीडिया की आवाजाही और कवरेज पर सख्त पाबंदी लगाई गई थी। इस आदेश के तहत पत्रकारों को कवरेज के लिए जनसंपर्क अधिकारी से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य था और संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश वर्जित था। इस ‘तुगलकी फरमान’ के खिलाफ रायपुर के पत्रकारों ने 18 जून को सड़कों पर उतरकर अंबेडकर चौक पर आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। रायपुर प्रेस क्लब के नेतृत्व में पत्रकारों ने तीन दिन में आदेश वापस न लेने पर राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी थी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस आदेश पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और अधिकारियों को भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने की सख्त हिदायत दी। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पत्रकारों के विरोध के बाद तत्काल प्रभाव से आदेश निरस्त करने के निर्देश दिए। जायसवाल ने कहा, “मीडिया हमारा आईना है। आपत्तिजनक बिंदुओं को पत्रकारों की सहमति से हटाया जाएगा।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में कोई भी नया प्रोटोकॉल पत्रकारों के साथ चर्चा के बाद ही लागू होगा।