चेक भुगतान न होने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया चेक पर केवल हस्ताक्षर होना ही किसी व्यक्ति को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (एनआइ) एक्ट के तहत अपराध का दोषी नहीं बनाता है। याचिकाकर्ता मनमोहन पटनायक को निचली अदालत से जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
याचिका के मुताबिक, मनमोहन पटनायक ओर्टेल कम्युनिकेशन लिमिटेड के मुख्य अधिकारी के पद पर तैनात थे। पद पर रहते हुए उन्होंने कंपनी की तरफ से 30 जुलाई, 2018 और 30 अगस्त, 2018 के दो पोस्ट डेटेड चेक जारी किए थे। वह इस कंपनी की सेवा से छह जनवरी, 2018 को सेवानिवृत्त हो गए थे।
पटनायक के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल की सेवानिवृत्ति के बाद कंपनी ने उनकी जगह नए अधिकारी की नियुक्ति भी कर दी थी। चेक 25 अक्टूबर, 2018 को धन की कमी की वजह से बिना भुगतान के लौटाया गया था। तब तक पटनायक को सेवानिवृत्त हुए नौ माह से ज्यादा का वक्त बीत चुका था। हाई कोर्ट ने पाया कि ऐसे में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के नियम याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होते।