छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजाति, बैगा जनजाति का कवर्धा जिले में है जनबाहुल्यता

रायपुर। पूनम ऋतु सेन, अपनी अनूठी जीवन शैली, रीति रिवाजों और पारंपरिक मान्यताओं के लिए जानी जाती हैं। भारत में कई प्रकार के आदिवासी हैं और छत्तीसगढ़ उनमें एक आदिवासी बाहुल्य/tribal state राज्य है।विशेषज्ञों और जानकारों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भारत के सबसे पुराने आदिवासी समुदाय 10,000 वर्षों से बस्तर में रह रहे हैं।

संविधान की पांचवी अनुसूची व्यवस्था के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुल 42 अनुसूचित जनजातियां पायी जाती है, जिसमें गोंड जनजाति प्रमुख जनजाति है। भारतीय संविधान के तहत राष्ट्रपति द्वारा छत्तीसगढ़ की 5 जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति के अंतर्गत शामिल किया गया है इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2 जनजातियों को इस श्रेणी में रखा गया है, ये जनजाति हैं-

  1. अबुझमाडिया
  2. बैगा
  3. बिरहोर
  4. कमार
  5. कोरवा पहाड़ी (कोरवा, दिहाड़ी कोरवा)
  6. भुजिया
  7. पंडो

छत्तीसगढ़ में 5 जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों के रूप में पहचान मिली है। आइये इस पोस्ट में आज बैगा जनजाति के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं-

बैगा जनजाति

• बैगा जनजाति मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के पांच जिलों के 10 ब्लॉकों में हैं। कबीरधाम जिला के बोडला (30.2%) और पंडरिया (19.5%) ब्लॉक में इनकी प्रमुखता देखी जा सकती है।

• बैगा छत्तीसगढ़ की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। छत्तीसगढ़ में उनकी जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार संख्यात्मक गणना में 89,744 दशाई गई है। राज्य में बैगा जनजाति के लोग मुख्यतः कवर्धा और बिलासपुर जिले में पाये जाते हैं।

बैगा जनजाति की उत्पत्ति

• बैगा जनजाति के उत्पत्ति के संबंध में ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। रसेल, ग्रियर्सन आदि समाजविदों ने इन्हें भूमिया, भूईया का एक अलग हुआ समूह माना है।

• किवदंतियों के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की तब दो व्यक्ति उत्पन्न किये। एक को ब्रह्मा जी ने ‘नागर‘ (हल) प्रदान किया। वह ‘नागर‘ लेकर खेती करने लगा तथा गोंड कहलाया। दूसरे को ब्रह्माजी ने ‘टंगिया’ (कुल्हाड़ी) दिया। वह कुल्हाड़ी लेकर जंगल काटने चला गया, चूंकि उस समय वस्त्र नहीं था, अतः यह नंगा बैगा कहलाया। बैगा जनजाति के लोग इन्हीं को अपना पूर्वज मानते हैं।

Read Also  2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

बैगा जनजाति का रहन सहन

• बैगा जनजाति के लोग पहाड़ी व जंगली क्षेत्र के दुर्गम स्थानों में गोंड, भूमिया आदि के साथ निवास करते हैं। 

• बैगा जनजाति के घर मिट्टी के होते हैं, जिस पर घास फूस या खपरैल की छप्पर होती है। 

• ये दीवारों की पुताई सफेद या पीली मिट्टी से करते हैं और महिलाएं घर की फर्श गोबर और मिट्टी से लीपती हैं। 

• बैगा जनजाति के घर में अनाज रखने की मिट्टी की कोठी, धान कूटने का ‘मूसल‘, ‘बाहना‘, अनाज पीसने का ‘जांता‘, बांस की टोकरी, सूपा, रसोई में मिट्टी, एलुमिनियम, पीतल के कुछ बर्तन, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, तीर-धनुष, टंगिया, मछली पकड़ने की कुमनी, ढुट्टी, वाद्ययंत्र में ढोल, नगाड़ा, टिसकी आदि होते हैं।

बैगा जनजाति का पहनावा

• बैगा जनजाति की महिलाएं शरीर में हाथ पैर, चेहरे पर स्थानीय ‘बादी‘ जाति की महिलाओं से गोदना गुदवाती हैं। पुरूष लंगोटी या पंछा पहनते हैं। शरीर का ऊपरी भाग प्रायः खुला होता है। 

• नवयुवक बंडी पहनते हैं। महिलाएँ सफेद लुगड़ा घुटने तक पहनती हैं। कमर में करधन, गले में रूपिया माला, चेन माला, सुतिया, काँच की मोतियों की गुरिया माला, हाथों में काँच की चूड़ियाँ, कलाई में ऐंठी, नाक में लौंग, कान में खिनवा, कर्णफूल आदि पहनती हैं। बैगा जनजाति के अधिकांश गहने गिलट या नकली चाँदी के होती हैं। 

बैगा जनजाति का खानपान

• बैगा जनजाति का मुख्य भोजन चावल, कोदो, कुटकी का भात, पेज, मक्का की रोटी या पेज, उड़द, मूँग, अरहर की दाल, मौसमी सब्जी, जंगली कंदमूल फल, मांसाहार में मुर्गा, बकरा, मछली, केकड़ा, कछुआ, जंगली पक्षी, हिरण, खरगोश, जंगली सुअर का मांस आदि हैं। 

• महुए से स्वयं बनाई हुई शराब पीते हैं। पुरूष तंबाकू को तेंदू पत्ता में लपेटकर चोंगी बनाकर पीते हैं।

मृतक संस्कार प्रथा

• मृत्यु होने पर मृतक को दफनाते हैं। तीसरे दिन घर की साफ-सफाई, लिपाई करते हैं। पुरूष दाढ़ी-मूँछ के बाल काटते हैं। 10 वें दिन दशकरम करते हैं, जिसमें मृतक की आत्मा की पूजा कर रिश्तेदारों को मृत्यु भोज कराते हैं।

Read Also  एक परिचय: छत्तीसगढ़ के नए उपमुख्यमंत्री अरुण साव का समर्पण और अनुभव

अन्य परम्पराएं

• संतानोत्पत्ति भगवान की देन मानते हैं। गर्भवती महिलाएँ प्रसव के पूर्व तक सभी आर्थिक व पारिवारिक कार्य संपन्न करती हैं। प्रसव घर में ही स्थानीय ‘सुनमाई‘ (दाई) तथा परिवार के बुजुर्ग महिलाएँ कराती हैं। प्रसूता को सोंठ, पीपल, अजवाईन, गुड़ आदि का लड्डू बनाकर खिलाते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं व नवजात शिशु को नहलाकर कुल देवी-देवता का प्रणाम कराते हैं। घर की लिपाई पुताई करते हैं। रिश्तेदारों को शराब पिलाते हैं।

• इनमें परंपरागत जाति पंचायत पाया जाता है। इस पंचायत में मुकद्दम, दीवान, समरथ और चपरासी आदि पदाधिकारी होते हैं। पैठू, चोरी विवाह, तलाक, वैवाहिक विवाद, अनैतिक संबंध आदि का निपटारा इस पंचायत में परंपरागत तरीके से सामाजिक भोज या जुर्माना लेकर किया जाता है।

बैगा जनजाति विवाह

• विवाह उम्र लड़कों का 14-18 वर्ष तथा लड़कियों का 13-16 वर्ष माना जाता है। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है। इनमें मामा बुआ के लड़के-लड़कियों के बीच आपस में विवाह हो जाता है। 

• वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष को ‘‘खर्ची‘‘ (वधूधन) के रूप में चावल, दाल, हल्दी, तेल, गुड़ व नगद कुछ रकम दिया जाता है। 

• लमसेना (सेवा विवाह), चोरी विवाह (सह पलायन), पैठू विवाह (घूसपैठ), गुरावट (विनिमय) को समाज से स्वीकृति प्राप्त है। 
       पुनर्विवाह (खड़ोनी) भी प्रचलित है। 

उपजातियां

• बैगा जनजाति कई अंतः विवाही उपजातियाँ पाई जाती है। इनके प्रमुख उपजाति – बिंझवार, भारोटिया, नरोटिया (नाहर), रामभैना, कटभैना, दुधभैना, कोडवान (कुंडी), गोंडभैना, कुरका बैगा, सावत बैगा आदि है। 

• उपजातियाँ विभिन्न बहिर्विवाही ‘‘गोती‘‘ (गोत्र) में विभक्त है। इनके प्रमुख गोत्र मरावी, धुर्वे, मरकाम, परतेती, तेकाम, नेताम आदि है। 

• जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वृक्ष लता आदि इनके गोत्रों के टोटम होते हैं। यह जनजाति पितृवंशीय, पितृसत्तात्मक व पितृ निवास स्थानीय हैं। अर्थात् लड़कियाँ विवाह के पश्चात वधू वर के पिता के घर जाकर रहने लगती हैं। उनके संतान अपने पिता के वंश के कहलाते हैं।

बैगा जनजाति का आर्थिक जीवन

Read Also  सुपोषण अभियान का जवाबदेही के साथ पालन के निर्देश- मंत्री महिला बाल विकास

• बैगा जनजाति के लोग पहले जंगल काटकर उसे जला कर राख में ‘बेवार‘ खेती करते थे। वर्तमान में स्थाई खेती पहाड़ी ढलान में करते हैं। इसमें कोदो, मक्का, मड़िया, साठी धान, उड़द, मूँग, झुरगा आदि बोते हैं। 

• जंगली कंदकूल संग्रह, तेंदू पत्ता, अचार, लाख, गोंद, शहद, भिलावा, तीखुर, बेचाँदी आदि एकत्र कर बेचते हैं। पहले हिरण, खरगोश, जंगली सुअर का शिकार करते थे, अब शिकार पर शासकीय प्रतिबंध है। वर्षा ऋतु में कुमनी, कांटा, जाल आदि से स्वयं उपयोग के लिए मछली पकड़ते हैं। महिलाएँ बाँस की सुपा, टोकरी भी बनाकर बेचती हैं।

बैगा जनजाति के प्रमुख देवी-देवता

• बैगा जनजाति में प्रमुख देवी-देवता बुढ़ा देव, ठाकुर देव, नारायण देव, भीमसेन, घनशाम देव, धरती माता, ठकुराइन माई, खैरमाई, रातमाई, बाघदेव, बूढ़ीमाई, दुल्हादेव आदि हैं। 

• इनके पूजा में मुर्गा, बकरा, सूअर आदि की बलि देने की परंपरा हैं। कभी-कभी नारियल, खरेक व दारू से ही पूजा संपन्न कर लेते हैं।

• इनके प्रमुख त्यौहार हरेली, पोला, नवाखाई, दशहरा, काली चैदश, दिवाली, करमा पूजा, होली आदि हैं। 

• जादू-टोना, मंत्र, तंत्र भूत-पे्रत में काफी विश्वास करते हैं। ‘भूमका‘ इनके देवी-देवता का पुजारी व भूत-प्रेत भगाने वाला होता है।

बैगा जनजाति का प्रमुख नृत्य

• इनमे प्रमुख लोक नृत्यों में करम पूजा पर करमा, नाच विवाह में बिलमा नाच, दशहरा में झटपट नाच नाचते हैं। छेरता इनका नृत्य नाटिका है। 

• इनके प्रमुख लोकगीत करमा गीत, ददरिया, सुआ गीत, विवाह गीत, माता सेवा, फाग आदि है। 

• इनके प्रमुख वाद्य यंत्र मांदर, ढोल, टिमकी, नगाड़ा, किन्नरी व टिसकी आदि है।

Share The News




CLICK BELOW to get latest news on Whatsapp or Telegram.

 


IMG 20240421 WA0008

शादी का प्रलोभन देकर बनाया शारीरिक संबंध…फिर जो हुआ,डॉक्टर की करतूत जान रह जाएंगे दंग…!!

By Sub Editor / April 21, 2024 / 0 Comments
  कोंडागांव | जिले में एक डॉक्टर ने शादी करने और नौकरी लगवाने का झांसा देकर युवती से रेप किया है। पिछले 5 सालों से वह लगातार युवती का शारीरिक शोषण कर रहा था। ढाई लाख रुपए नगद और सोने...
WhatsApp Image 2024 04 19 at 11.49.08 AM

रिश्ते शर्मसार : 2 सालों तक अपनी ही सगी बेटी से हवस बुझाता रहा पिता…ऐसे हुआ खुलासा

By Sub Editor / April 19, 2024 / 0 Comments
जिले के राजपुर थाना क्षेत्र में एक इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। हवस के पुजारी पिता ने अपने पत्नी की मौत के बाद सगी बेटी से ही बलात्कार की घटना को अंजाम दे रहा था...
IMG 20240420 WA0006

अशोका बिरयानी सेंटर के सभी ब्रांच पर लगा ताला…प्रबंधन पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज..जानिए पूरा मामला 

By Sub Editor / April 20, 2024 / 0 Comments
  रायपुर की अशोका बिरयानी सेंटर के दो कर्मचारियों की गटर में सफाई के दौरान मौत होने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. सेंटर के कर्मचारियों द्वारा पत्रकारों से बदसलूकी पर पुलिस की कार्रवाई के बाद जिला प्रशासन...
ashoka

अशोका बिरयानी में लगा ताला

By Rakesh Soni / April 19, 2024 / 0 Comments
रायपुर। अशोका बिरयानी सेंटर के दो कर्मचारियों की गटर की सफाई के दौरान हुई मौत और उसके बाद सेंटर के कर्मचारियों द्वारा पत्रकारों से की गई बदसलूकी पर कार्रवाई हुई है. उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि मामले की...
IMG 20240421 WA0014

Breaking News: राज्य में बढ़ती गर्मी से मिली बच्चों को राहत, स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा

By Sub Editor / April 21, 2024 / 0 Comments
  रायपुर: प्रदेश में चिलचिलाती धूप और गर्म हवा से जन-जीवन बेहाल है। पारा 42 डिग्री के पार चला गया है। स्कूली बच्चों पर मौसम की सबसे अधिक मार पड़ रही है। इसी के बीच स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों...
IMG 20240421 WA0017

भूपेश से सवाल करती प्रियंका गांधी का कार्टून बीजेपी ने किया वायरल

By Sub Editor / April 21, 2024 / 0 Comments
  प्रियंका के दौरे को लेकर भाजपा ने के कार्टून पोस्ट भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और भूपेश बघेल नज़र आ रहे हैं। इस पोस्ट में अधिवेशन के दौरान प्रियंका के लिए बिछाई गई गुलाब...
IMG 20240420 WA0009

एक ही दिन राजनांदगांव में योगी आदित्यनाथ और प्रियंका गांधी गरजेंगे…आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की भी हो रही इंट्री

By Sub Editor / April 20, 2024 / 0 Comments
  राजनांदगांव लोकसभा सीट के लिए 26 अप्रैल को मतदान होना है. इसके पहले प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. 21 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां भाजपा...
actress

टीवी अभिनेत्री हुई हादसे का शिकार, बाजू की हडिड्यां टूटीं

By Reporter 1 / April 20, 2024 / 0 Comments
टीवी अभिनेत्री दिव्यांका त्रिपाठी हादसे का शिकार हो गई हैं। इस हादसे में दिव्यांका की बाजू की दो हड्डियां टूट गई हैं और वह फिलहाल कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती हैं। उनके पति विवेक को दिव्यांका के एक्सीडेंट की खबर मिली...
IMG 20240420 WA0012

मृतक के परिजनों को मिलेगा 15-15 लाख मुआवजा व हर महीने दिये जायेंगे इतने हजार…गृहमंत्री ने सुलझाया मुद्दा

By Sub Editor / April 20, 2024 / 0 Comments
  रायपुर | अशोका बिरयानी में दो कर्मचारियों की मौत मामले में पुलिस ने रेस्टोरेट के चार कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इससे पहले देर रात परिजनों ने मुआवजे की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। विवाद सुलझते...
aag

उरला में लगी भीषण आग, फायर ब्रिगेड़ ने क़ाबू पा लिया

By Rakesh Soni / April 19, 2024 / 0 Comments
रायपुर । राजधानी से सटे उरला इलाके में भयंकर आग लग गयी है। तेज गर्मी की वजह से ट्रांफॉर्मर में लगी भीषण आग। यह  गणपति इस्पात उरला के परिसर में लगे बिजली ट्रासफ़ॉर्मर में आग लगी है। फ़ायर ब्रिगेट द्वारा मौक़े...

Leave a Comment