सुप्रीम कोर्ट मतदाता सूची के आंकड़े को आधार से जोड़ने के केंद्र सरकार के निर्णय की समीक्षा करने के लिए राजी हो गया है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने केंद्र के निर्णय के विरुद्ध दायर पूर्व मेजर जनरल एसजी वोमबटकेरे की याचिका को उसी तरह के लंबित मामले के साथ संबद्ध कर दिया।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत का ध्यान 2019 के आधार के निर्णय की तरफ आकर्षित किया है। इसमें कहा गया है कि कुछ लाभ प्रदान करने की मांग की जाती है तो वहां आधार अनिवार्य हो सकता है, लेकिन जहां अधिकार की बात हो वहां नहीं। मतदान का अधिकार ऐसे ही सर्वोच्च अधिकारों में से एक है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की तरफ से दो अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं और इनमें कुछ मामलों में समानता हो सकती है। इसलिए इन्हें एक साथ जोड़ना जरूरी है। इसके साथ ही पीठ ने इसे दूसरे मामलों के साथ जोड़ने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दिवान ने कहा कि मतदान का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है और किसी व्यक्ति के पास आधार नहीं है तो भी उसे वोट देने से नहीं रोका जाना चाहिए।
केंद्र ने मतदाता पंजीकरण नियमों में संधोधन कर मतदाता सूची के साथ आधार के विवरण को जोड़ने का प्रावधान किया है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम के दोहराव रोकना और उसे सही बनाना है।