संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि तालिबान महिलाओं का सार्वजनिक जीवन से सफाया करना चाहता है। वह बहुत क्रमबद्ध तरीके से लैंगिक भेदभाव कर रहा है। अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद से महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अत्याचार अपने चरम पर है।
टोलो न्यूज के अनुसार मानवाधिकार के संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार तालिबान चाहता है कि धीरे-धीरे महिलाएं और लड़कियां सार्वजनिक जीवन से एकदम साफ हो जाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में महिलाओं को संस्थानों और सार्वजनिक व्यवस्थाओं से एकदम बाहर कर दिया जाएगा। देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचे में महिलाओं की कोई भूमिका नहीं रहेगी।
महिला अधिकार कार्यकर्ता तमन्ना जरयब ने बताया कि तालिबान जब से सत्ता में आया है, महिलाओं का संघर्ष हरेक क्षेत्र में बढ़ गया है। सार्वजनिक स्थलों पर जाने के लिए उन्हें एक पुरुष के साथ जाना अनिवार्य है। वह खुद सार्वजनिक वाहन या निजी वाहन का इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं। वह उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकतीं और नौकरी भी नहीं कर सकती हैं।