लालजी टंडन मात्र 12 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे। उनके जीवन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का खास स्थान था। छह दशक के राजनीतिक करियर में उन्होने कई बार सार्वजनिक मंच से वाजपेयीजी को कभी पिता तो कभी भाई और साथी कहा।
85 वर्षीय मध्यप्रदेश के राज्यपाल टंडन का मंगलवार तड़के 0535 बजे उत्तर प्रदेश में अपने गृहनगर लखनऊ के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
भाजपा के कद्दावर नेता रहे टंडन को भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह लखनऊ में समाज के हर वर्ग में पंसद किये जाते रहे हैं। खासकर मुस्लिम समुदाय के बीच भी वह लोकप्रिय रहे। विपक्षी दल भी उनका बहुत सम्मान करते थे। बसपा सुप्रीमो मायावती लंबे समय तक उन्हें राखी बांधती रही। टंडन भी उन्हें अपनी मुंहबोली बहन कहते थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ बनी भाजपा की सरकार में टंडन की भूमिका अहम रही थी।
लखनऊ में टंडन की पहचान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उत्तराधिकारी के रूप में थी। दरअसल टंडन को राजनीति में लाने का श्रेय वाजपेयी को जाता है। वर्ष 1960 में उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई। है।
भाजपा के दिवंगत नेता टंडन 1978 से 1984 तक और फिर 1990 से 96 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे, जबकि 1991 में उन्हें मंत्री बनाया गया। वर्ष 1996 से 2009 तक तीन बार विधायक का चुनाव जीते। 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अस्वस्थता के चलते जब उन्हे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्थान पर लखनऊ संसदीय सीट का टिकट मिला तो वह सबसे पहले वाजपेयी से आर्शीवाद लेने दिल्ली गये और लौट कर कहा कि अटल की खड़ांऊ लेकर आये है और उन्हीं के आशीष से चुनाव लड़ेंगे।
टंडन को भी अटलजी की तरह लखनऊ की जनता से सिर आंखों पर बैठाया और वह भारी बहुमत से विजयी हुए। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने हालांकि उनकी बजाय मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पर भरोसा किया और बुजुर्ग नेता का उचित सम्मान देते हुये 21 अगस्त 2018 को बिहार के राज्यपाल बनाया गया। बाद में 20 जुलाई 2019 को उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। उनके लिए 2004 विषम परिस्थितियां लेकर आया जब लोकसभा चुनाव के दौरान अपने जन्मदिन के मौके पर वह महिलाओं को साड़ी बांट रहे थे कि अचानक भगदड़ मच गई और इस घटना में 21 महिलाओं की मौत हो गई। महिलाओं की मौत के मामले ने विरोधियों ने इसका आरोप टंडन पर मढ़ दिया। इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी और उन्हे चुनाव आयोग का भी सामना करना पड़ा था।
चुनाव के दौरान हुई इस घटना से खफा चुनाव आयोग ने भाजपा को पार्टी की मान्यता रद्द करने की भी चेतावनी दे दी थी हालांकि मामला कुछ दिनों में शांत हो गया और कुछ समय बाद टंडन भी इन आरोपों से मुक्त हो गए और उनका सफर फिर शुरू हुआ। टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में लखनऊ में हुआ था। उन्होंने स्नातक कालीचरण डिग्री कॉलेज लखनऊ से किया। उनका विवाह 26 फरवरी 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। टंडन के तीन पुत्रों में एक गोपालजी टंडन योगी सरकार में मंत्री हैं।