घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने के चलते इस सप्ताह शेयर बाजार वैश्विक स्तर पर होने वाले परिवर्तन पर निर्भर करेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में कोरोना संक्रमण के बढ़ने के खतरे बाजार पर असर डाल सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि शेयर बाजार में तेजी बरकरार रह सकती है। अगर विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) बाजार में वापसी करते हैं तो बाजार में और तेजी आ सकती है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के वीपी रिसर्च अजीत मिश्रा ने कहा, ‘रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन में कोरोना संक्रमण की स्थिति और कच्चे तेल की कीमत बाजार को प्रभावित करेंगी। इसके अलावा एफआइआइ की गतिविधियों पर भी नजर रहेगी।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर युद्ध लंबा खिंचने के आसार बने और चीन में कोरोना की स्थिति बिगड़ी तो बाजार की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी और इसके चलते बिकवाली हावी हो सकती है। स्व्ाास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, ‘दूसरे देशों के मुकाबले हमारे बाजारों की स्थिति बेहतर है। इतना ही नहीं हमने निचले स्तर पर जमकर खरीदारी भी होते देखी है। अगर एफआइआइ में निवेश करते हैं तो इससे बाजार को और बल मिलेगा।” उन्होंने कहा कि बाजार को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध जल्द समाप्त हो सकता है। हालांकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बाजार में कुछ समय तक अस्थिरता रह सकती है। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स में 2,313.63 अंक या 4.16 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला था।
बीएसई सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों का मार्केट कैप बीते सप्ताह 2.72 लाख करोड़ बढ़ा है। सबसे ज्यादा फायदा रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ और उसका मार्केट कैप 54,907.27 करोड़ रुपये बढ़कर 16,77,447.33 करोड़ हो गया। देश की सबसे बड़ी सूचना-प्रौद्योगिकी कंपनी टीसीएस का मार्केट कैप 27,557.93 करोड़ रुपये बढ़कर 13,59,475.36 करोड़ रुपये हो गया। जबकि इन्फोसिस का मार्केट कैप 13,501.05 करोड़ बढ़कर 7,79,948.32 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया।