आयकर विभाग ने कर चोरी रोकने के लिए नए क्षेत्रों तक पहुंच बनाई है। विभाग की जांच इकाइयां विदेश में संपत्ति रखने वाले भारतीयों के डेटा के बड़े पैमाने पर विश्लेषण कर रही हैैं। यह जानकारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन नितिन गुप्ता ने दी।
सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि अब हम खुद को सिर्फ रियल एस्टेट या डेवलपरों तक ही सीमित नहीं रख रहे हैं। अब हमने अर्थव्यवस्था के नए क्षेत्रों जैसे असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियां (एआरसी), गेमिंग और सट्टेबाजी से जुड़ी गतिविधियां तक भी पहुंच बनाई है। भारत को विभिन्न् देश्ाों से साझा रिपोटिर्ंग मानकों (सीआरएस) और विदेश्ाी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) के जरिये भारतीय नागरिकों की विदेशी परिसंपत्तियों के आंकड़े बड़े पैमाने पर मिल रहे हैं। सीआरएस वित्तीय खाता सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान की एक वैश्विक मानक प्रणाली है, जबकि एफएटीसीए भारत एवं अमेरिका के बीच कर सूचनाओं का ब्योरा देने वाली व्यवस्था है।
सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि हमें पनामा, पैराडाइज और पंडोरा पेपर्स के जरिये तमाम सूचनाएं मिली हैं। इन्हें सीआरएस एवं एफएटीसीए के साथ जोड़कर हम अपना आधार व्यापक बना रहे हैं। नितिन गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2019 तक मिली इन सूचनाओं की पड़ताल आयकर विभाग की जांच इकाई कर रही है। इसके लिए आंकड़ों का विश्लेषण और जोखिम विश्लेषण का किया जा रहा है ताकि कार्रवाई के लायक मामलों को चिह्नित किया जा सके।