
कोरोना के साथ भी और बाद भी करना होगा सफल व्यवसाय
लेखक:अतुल जैन (आप अतुल पब्लिसिटी के निर्देशक है)
वैश्विक महामारी कोविड19 कारोना से पूरा विश्व जूझ रहा है। इसके कारण विकसित देश हो या विकासशील, सब आपने – आपने संसाधनों से इसका सामना कर रहे हैं।
भारत की 130 करोड़ की जनता को स्वास्थ्य, खाद्य उत्पादन, व्यापार और उद्योग, शिक्षा जैसी समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। इसका असर किसानों, मजदूरों, बेरोजगारो और बुजुर्गों पर पड रहा है। अनेकों समस्याओं के अलावा असल चुनौती कोविड-19 यानी कारोना वायरस से खुद को बचाए रखना और अपनी परस्परता को कैसे बचाया जा सकता हैं।
परस्परता का आशय है कि एक-दूसरे का साथ, एक दूसरे के प्रति संवेदना, सहानुभूति, को बचाए रखना। जीवन को बचाना और मिल जुलकर हम देशवासियों को आगे बढ़ना ही होगा। यानी अब ऐसा समय आ गया है,अब हम सबको आपने व्यवसाय और व्यवहार में बदलाव करके ही प्रगति संभव है ।
हमारे देश में जब भी विपत्तियां आई हैं तो देशवासियों ने साथ मिलकर मुकाबला किया है। ये ही हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति है। हमको व्यवसाय में व्यवहार बदलने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर हमारे स्टाफ या उसके किसी परिजन को कोरोना संक्रमण होता हैं तो हम उससे व उसके परिजनों से दूरी बना लेते हैं। जो कि पूर्णता गलत है। इस धारणा को हमे बदलना चाहिए। माना क्योंकि हम उसके पास नही जा सकते हैं पर उसकी मदद करने का माध्यम तो सुझा ही सकते हैं। आखिर वह भी हमारे समाज का हिस्सा है। हमारे व्यवसाय की प्रगति में उसकी भी भूमिका है। हमें अपने व्यवहार में पहले सा एकरूपता रखनी चाहिए। उनके प्रति पहले जैसा ही अपनत्वा का भाव होना चाहिए।
इसके अलावा व्यापारियों को दुकानों में प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों का पालन ही करना होगा नहीं तो लापरवाही के चलते फिर लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ेगी। साथ ही हमें अपने ग्राहक को कारोना संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए आकर्षक ऑफर (बीमारी का इन्सुरेंस) लाने से भी बाजार में रौनक आ सकती है।
किसानों और मजदूरों की कार्यक्षमता बढ़ाने और कार्ययोजना का प्रशिक्षण दिया जाना, स्वास्थ सुरक्षा के लिए इंश्योारेंस या आर्थिक पैकेज जैसी आकर्षक योजना बनानी होगी , क्योंकि ये ही हमारे जीवन चक्र की रीढ़ है। हम जब पुराने तौर तरीकों, व्यवहार पर मूलभूत बदलाव करेंगे तो देश आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
उद्योग जगत हमारी अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन है। इनको वोकल से लोकल के साथ आपनी उत्पादन क्षमता में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी करनी होगी वो भी स्टाफ को प्रशिक्षित करने की मानसिकता के साथ उत्साहित करना होगा।
एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को भी आपने पाठ्यक्रम के अनुसार ज्यादा से ज्यादा विडियो कॉन्फ्रेसिंग एव ऑनलाईन या फिर कोचिंग क्लास रूम में सोशल डिस्टेंनसींग का पालन करते हुए पढाई की सुविधा उपलब्ध करानी होगी और छात्रों को भी इसका ईमानदारी से पालन करना होगा।
कामकाजी, घरेलू कर्मचारियों को भी कार्यशैली बदलने की जरूरत है। वे भी आपने घरों पर साफ़-सफाई, सोशल डिस्टेंनसिंग, स्वस्थ परीक्षण के साथ आपने कार्य क्षेत्र में संक्रमण सुरक्षा उपाय के साथ व्यवहार में लाना होगा।
सर्विस क्षेत्र में कार्य करने वालों को भी ज्यादा सावधानियां बरतनी होगी। संभव है वे संक्रमित सहकर्मी के बीच कार्य कर रहे हों और अगर किसी को संक्रमित होने की जानकरी मिलती है तो नियोक्ता को भी व्यवसाय बढ़ाने वाले आपने कर्मचारी के प्रति स्वस्थ, आर्थिक व्यवस्था का व्यवहार रखना होगा ।
स्वास्थ्य जगत पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी आएगी पूरी: स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगो को मरीज के प्रति मानवीय संवेदनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी और मानवतावादी सोच रखनी ही होगी भौतिकतावादी नहीं। स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े लोगों के प्रति हम सभी को सम्मान और आत्मिक भाव से पेश आने की जरूरत है क्योंकि वक्त है बहुत नाजुक ।
तब 2021 में परिवर्तन दिखाई देगा:
जब हम सीमित संसाधनों के साथ 130 करोड़ की आबादी होने के बाद भी सभी देशवासी उपरोक्त सभी बातों का ईमानदारी से पालन करते हैं तो निश्चित तौर पर हम 2021 से मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करने में सफल होंगे। फिर निश्चित ही 2021 का भारत शक्तिशाली होगा। इसके अलावा अर्थिक, खाद्यान्नों में भी, टेक्नोलॉजी में भी आत्मनिर्भर होते नजर आएगा ।
(यह लेख लेखक की निजी राय है।इसे ekhabri.कॉम का दायित्व नही लेता है।)