हिमाचल प्रदेश मंडी जिले की एक नाबालिग के गर्भ से भ्रूण गायब हो गया। यह मामला जब हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सामने आया तो न्यायालय ने इसकी जांच सीआइडी को सौंप दी। साथ ही रिपोर्ट जल्द देने का आदेश दिया है। संभावना है कि इस मामले में कई लोगों पर गाज गिर सकती है।
पिछले साल अक्टूबर में एक नाबालिग को पेट दर्द की शिकायत होने पर उनकी मां जांच के लिए अस्पताल ले गई थी। जांच के दौरान नाबालिग के गर्भवती होने की बात सामने आई थी। अल्ट्रासाउंड करने पर उसके गर्भ में चार से आठ सप्ताह का भ्रूण पाया गया। डाक्टरों ने नाबालिग के गर्भवती होने की बात उसकी मां को बताई थी। मां ने घर जाकर बेटी से पूछताछ की तो उसने कुछ भी बताने से मना कर दिया था। इसके बाद शक के आधार पर मां ने एक युवक के विरुद्ध पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई थी।
शिकायत मिलने के बाद पाक्सो अधिनियम के अंतर्गत केस दर्ज कर पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस ने उसी स्वास्थ्य संस्थान में नाबालिग की दोबारा मेडिकल जांच करवाई तो भ्रूण नहीं मिला। पहली बार जांच करने वाले डाक्टर इससे हैरान थे। पुलिस के समक्ष भी नाबालिग ने युवक पर कोई आरोप नहीं लगाए थे। पुलिस को 60 दिन में कोर्ट में चालान पेश करना था। जांच के बाद पुलिस को मामले से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं मिला तो क्लोजर रिपोर्ट बना दी, मगर न्यायिक हिरासत में रखे गए युवक को जमानत नहीं मिली। उसने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसे जमानत मिल गई, लेकिन नाबालिग के पेट से भ्रूण कहां गया। पुलिस इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। मेडिकल जांच करने वाले डाक्टर बयान पर कायम रहे। अब मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने सीआइडी को छानबीन का जिम्मा सौंपा है। चर्चा है कि पहले और दूसरे मेडिकल चेकअप के दौरान नाबालिग का गर्भपात करवा दिया गया। अगर यह आरोप सही पाए गए तो कई लोग कानूनी कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं।