हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटाने का काम करती है। इस प्रणाली की मदद से संक्रमणों के उपचार की राह खुल सकती है। एक नए अध्ययन के अनुसार, प्रतिरक्षा प्रणाली के उपयोग से टीबी जैसे संक्रामक रोगों का उपचार किया जा सकता है। इससे एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता कम हो सकती है।
ब्रिटेन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष आटोफैगी से बचने के लिए बैक्टीरिया के लिए महत्वपूर्ण जीन पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला है। आटोफैगी एक ऐसा तंत्र है, जिसमें तनाव की स्थिति में सेल्स (कोशिकाओं) खुद को खत्म करने लगती हैं। नतीजों को नेचर माइक्रोबायोलाजी पत्रिका में प्रकाश्ाित किया गया है।
अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने सबसे पहले एक खास तरह की स्टेम सेल्स की मदद से मैक्रोफेज या इम्यून सेल्स को तैयार किया। स्टेम सेल्स शरीर में किसी भी प्रकार की कोशिका बनने में सक्षम होती हैं। इसके बाद मैक्रोफेज को आटोफैगी से बचने में सक्षम बनाया। फिर इसे टीबी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस से संक्रमित किया। शोधकर्ताओं ने टीबी जैसे संक्रमणों के नियंत्रण में आटोफैगी की भूमिका के प्रमाण पाए। अध्ययन में बताया गया कि इस तरीके की मदद से मौजूदा एंटीबायोटिक दवाएं भी ज्यादा प्रभावी हो सकती हैं।