नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी राज्यपाल बनाई गई थीं। वे साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रही थीं। मुर्म के नाम की आधिकारिक घोषणा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की है।
देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है। इसके लिए विभिन्न दल अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है। मतदान के बाद वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी किए जाने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 29 जून है।
आपको बता दें मुर्म के नाम की घोषणा के साथ ही देश को पहली बार आदिवासी समुदाय से एक राष्ट्रपति देने की तैयारी है। उनके नाम का ऐलान कर बीजेपी पार्टी ने महिला सशक्तिकरण को लेकर भी संदेश दिया है।
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था। वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं। मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं।
मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं।
द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी। ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया था और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मुर्मू को शपथ दिलाई थी। द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया। पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ है। द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और वे भाजपा के लिए बड़ा आदिवासी चेहरा हैं।