पाकिस्तान की इमरान खान सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपनी जमीन से आतंकवाद का खात्मा करने में नाकाम रही है। 2008 में मुंबई हमले के कारण पाकिस्तान को अपने यहां आतंकवाद को काबू करने का सुनहरा मौका मिला था लेकिन वह उसका फायदा नहीं उठा सका। पाक सरकार की हीलाहवाली और आतंकियों के साथ नरमी बरते जाने के कारण मुंबई हमले के सभी गुनहगार बच निकले।
टाइम्स आफ इजरायल में सरजिओ रेस्तेली के ब्लाग के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मुंबई हमले के दोषी लश्कर ए तैयबा के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए काफी दबाव बनाया था। लेकिन पाकिस्तान कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई को तैयार ही नहीं हुई। जिसके चलते हाफिज सईद और जकी उर रहमान जैसे दुर्दांत आतंकी सजा पाने से बचे गए।
अमेरिकी कांग्रेस की रिसर्च सर्विसेज (सीआरएस) के अनुसार पाकिस्तान में प्रमुख 15 आतंकी संगठन हैं जो विश्व भर में आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं। अलकायदा, आइएस-खुरासन, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मुहम्मद, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठन इन 15 संगठनों में शामिल हैं। सीआरएस का मानना है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद यह सभी आतंकी संगठन अपनी जड़ें और मजबूत कर लेंगे।
रेस्तेली के अनुसार कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार आतंकी संगठन, कट्टरपंथियों और पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना व खुफिया एजेंसी आइएसआइ के बीच गहरे रिश्ते हैं। इसीलिए आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार की जांच फर्जी होती है और उनके खिलाफ बेहद कमजोर मामले बनाए जाते हैं ताकि उन्हें आसानी से छोड़ा जा सके।