यूं तो अर्से से कोहरे के दौरान भी सुरक्षित और समय से पहुंचाने के लिए रेलवे विशेष इंतजाम का दावा करता रहा है। इस बार ऐसे रेल खंडों को चिह्नित कर सभी ट्रेनों में फॉग सेफ्टी का विशेष इंतजाम करने की बात कही जा रही है जिसपर प्रत्येक वर्ष कोहरे का असर पड़ता है। प्रभावित स्टेशनों पर फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाए जा रहे हैं। श्यता जांच की व्यवस्था की जा रही है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कोहरे के दौरान ट्रेनों के सुरक्षित और सहज परिचालन के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा सभी रेल खंडों में एक महीने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। पटरियों की निगरानी के लिए पेट्रोलिग का फेरा बढ़ाया गया है। इस दौरान रेल मंडलों के अधिकारियों को भी सघन निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही इस दौरान पाई गई कमियों को अविलंब दूर करने के लिए कहा गया है। उत्तर भारत में दिसंबर से जनवरी तक ट्रेनों के संचालन पर कोहरे का गहरा असर पड़ता है। इस दौरान कई ट्रेनें घंटों विलंब से चलने लगती हैं।
सबसे ज्यादा असर उत्तर-पश्चिम एवं पूर्वोत्तर रेलवे पर होता है। इसलिए इन खंडों पर विशेष नजर रखी जाती है। चिह्नित स्टेशनों पर विजीबिलिटी टेस्ट की व्यवस्था की जा रही है। घने कोहरे वाले रेलखंडों में लोको पायलटों को पटरी की स्थिति ठीक तरह से दिखे, इसके लिए संकेतकों पर पेंटिग, चमकीले साइनबोर्ड एवं संकेतकों के पास गिट्टियों को चूने से रंगा जा रहा है। लोको पायलटों को फॉग सेफ्टी डिवाइस दिया जा रहा है। रेल के इंजन में लगे इस डिवाइस से जीपीएस प्रणाली द्वारा उस खंड के सभी सिग्नलों की दूरी की जानकारी पायलटों को पहले ही हो जाती है। इससे ट्रेन की गति को नियंत्रित कर लिया जाता है।