
सावन का महिना चल रहा है, पर उमस वैसे की वैसे बनी हुई है। भला हो भगवान की पेड़ के द्वारा हमें अच्छी और ठंडी हवाएं आती रहती हैं, पर क्या अपने कभी सोचा है, की अगर पेड़ ना हुए तो क्या होगा। जी हां आज हम उसी पर बात करने वाले हैं। हमारा जीवन बिना पेड़ो के खत्म हो जाएगा। पर लोग सुनते ही नहीं बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाते जा रहे है।और पेड़ो को खत्म करते जा रहे हैं। पर विकास भी जरूरी है, पर पर्यावरण की बलि देकर नहीं इसलिए आज हम बीजारोपण पर बात करेंगे की कैसे हम अपने वातावरण और पर्यावरण को और अच्छा बना सके और इसलिए हमने महासमुंद निवासी रुद्र प्रताप सिंह से बात की,जो हर साल अपना कर्तव्य पूरा करते हुए सावन के महीने में लगातार बीजारोपण करते हैं, वह जगह जगह घूम घूम कर बीज के लिए अच्छी जगह खोज कर वह पेड़ और पौधे लगते हैं।
रूद्र के बारे में जितना बोले काम हैं, रुद्र बचपन से ही बहुत पर्यावरण प्रेमी हैं। बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पर्यावरण के लिए अच्छे अच्छे काम करना सीख लिया था। उन्हें पूरे महासमुंद में बाल वैज्ञानिक के नाम से जाना जाता है, बचपन से ही साइंस के प्रोजेक्ट करना कुछ ना कुछ नया यूनिक करते रहना साथ ही साथ रूद्र ने संगीत में भी अच्छी महारथ हासिल कर रखी है, वो बच्चो से लेकर बड़ों सभी को संगीत भी सिखाते हैं।
इनकी आवाज के लोग कायल हैं।इतना अच्छा और मधुर गाते हैं। तो चलिए जानते हैं, रूद्र प्रताप सिंह से बीजारोपण के बारे में ।
कुछ वर्ष पहले मुझे खुद अनुभव हुआ कि गर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। पहली बार मुझे गर्मी असहनीय लग रही थी। तो इसका सीधा सा उपाय था कूलर के सामने जाकर बैठ जाना। तभी मेरी नज़र उस टब की तरफ गई जिसे में गर्मियों में जानवरों गौमाता ओर चिड़ियों के लिए रखता हूँ। और में ये सोचकर चिंतित हो गया कि मेरे पास को कूलर है पर इन पक्षियों जानवरों का क्या?
ओर ये विचार मुझे सताने लगा मेने गर्मी बढ़ने के कारणों पर अध्ययन करना शुरू किया और पाया कि गर्मी बढ़ने के सारे कारण हम इंसानो से जुड़े हुए हैं। असल मे गर्मी बढ़ने का कारण हम इंसान हैं।
रोज बहुत से जीव जंतु भूखे प्यासे मजबूरन शहर की ओर आते हैं क्योंकि उनके जंगल उनके पेड़ उनके झरने व नदियों पर हमने कब्जा कर लिया है।
इसके लिए किसी एक को दोष देना उचित नहीं होगा क्योंकि जंगल काटने से बने प्रोडक्ट हम सभी उपयोग करते हैं।तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हम सभी जिम्मेदार हैं इन समस्याओं के ।
1 ग्लोबल वार्मिंग
2 क्लाइमेट चेंज
3 जानवरों का शहर की ओर आना
4 वायु प्रदूषण
5 ग्राउंड वाटर का गिरता लेवल
6 जानवरों की भूख से मौत
7 मृदा अपरदन
8 कुपोषण
9 जीवों की औसत उम्र का कम होना
https://youtu.be/dLlvy5g2Wu8
मेरा दिमाग समाधान पाने की इच्छा से तेजी से दौड़ाने लगा और मुझे इन सारी समस्याओं का समाधान मिला फलदार पौधों के बीजारोपण के रूप में।जी हां
बीजारोपण बिना पैसों के भी किया जा सकता है। बीज डालने के बाद उसकी देखभाल नहीं करनी होती है। जो पुष्ट बीज होते हैं वो उग ही जाते हैं। क्योंकि बीजों की शुरुआत जिस माहौल में होती है उसी माहौल में वो बढ़ते हैं तो उनके पौधों से पेड़ बनाने की संभावना ज्यादा रहती है।
प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है। बहुत कुछ देती है। बदले में हमसे कुछ नहीं मांगती जो प्राकृतिक प्रक्रिया है उसे ही हम पूरा कर दें तो यह पर्यवरण वापस अपनी स्वस्थ स्थिति में आ जायेगी।
बचपन मे पुष्प की अभिलाषा पढ़ी थी। और ये सारे कार्य करके वृक्ष की अभिलाषा पता चली
वृक्ष हमसे चाहते क्या? फल खा लो बो दो बीज।
नहीं किया तो तुम बनते हो कृतग्यहीन और पक्के नीच।।
कृतज्ञ हीन वो होता है जो कृतज्ञ नहीं होता है।
भोजन का एहसान तो लेता पर संवर्धन ना करता है।
जिस पेपर पर लिखी कविता, उसका अहसान चुकाऊंगा।
अब से खाये फल के बीजों को ,मिट्टी में बो कर आऊंगा।।
आएगी बरसात उगेंगे बीज हमारे
फल खाएंगे बच्चे अपने प्यारे प्यारे।
वृक्षारोपण से जुड़ी कुछ परेशानियां और उनके बिना खर्च के उपाय जो हमारे द्वारा खोजा गया सस्ता समाधान है
1 पौधों की सुरक्षा?
समाधान – ऐसे पौधे लगाए जिनको जानवर कम खाते हैं।
1000 पौधे लगाने के बदले 10 पौधे लगाए लेकिन उनकी सुरक्षा और निगरानी करे । 1 साल उन 10 पौधों की देखभाल करने का वचन लें। आप जिधर साधारणतः जाते उन रास्तों में पौधे लगाए तो वो काम करते हु बिना किसी एक्स्ट्रा खर्च ओर मेहनत के उनकी मोनेटरिंग हो जाती है जरूरत पड़ने पर जाते जाते हम थोड़ा बहोत पानी भी डाल सकते हैं ।
2 पौधों का सूखना?
समाधान – पौधे लगाने के बाद उनको पर्याप्त पानी ना मिलने के कारण वो सूख जाते हैं। इसका एक उपाय है रेगुलर मोनेटरिंग दूसरा हाइड्रोजेल का इस्तेमाल। (ये हैड्रोजेल आपको डायपर्स में मिल जाएगा) उयोग किये गए डायपर का इससे अच्छा सदुपयोग नहीं हो सकता है। बच्चों की यूरिन वाली डाइपर उपयोग में लाई जा सकती है।
हैड्रोजेल डालने पर 1 बार पानी डालने पर पौधों को 15 15 दिन तक पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती है। और इस समस्या का समाधान मिल जाता है। या मार्किट से नई हैड्रोजेल भी लिया जा सकता है।
3 पौधे खरीदने का शुल्क?
इसका उपाय है किसी पेड़ के नीचे जाना और वहां पर उगे छोटे पौधों को उखाड़ कर नए जगह में लगा देना । या आप जो फल खाते हैं उनके बीजों को घर की खाली जगह में लगा देना जब वो पौधे बन जाएं उनको उचित जगह पर लगा आना।
आखिर में
हमें खून से ज्यादा साँसों की जरूरत है।
हमें अभी से छोटे छोटे प्रयास करके अपनी आने वाली पीढ़ी को शुध्द हवा और सांस देना है। कोई करे या ना करे मैं तो करूँगा ये विचार ही हमारे कर्तव्यों को समय पर पूरा करने में मदद करेगा😊🙏🏻